संदेश
सपने - कविता - रूशदा नाज़
बचपन में परिवर्तित होते थे हमारे सपने कभी डॉक्टर, वैज्ञानिक, शिक्षक, इंजीनियर सब कुछ चाहते थे मानों छू लेना चाहते थे आकाश उम्र के …
सुना है सपने सच होते हैं - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
मन की तरंगे बढ़ने दो मन पतंग सा उड़ने दो पंख तेरे अब खुलने दो भ्रम की दीवारें गिरने दो नैनो में सपने पलने दो सिंचित-पोषित बीज अंकुरित हो…
धरे रहे सब ख़्वाब - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
धरे रहे सब ख़्वाब, आँखें बोझिल थी। आसूँ की सौग़ात, सावन को भी मात, हाथों में नहीं हाथ, छूटा स्नेह का साथ, पर मधुर रहा बोल, शायद कोयल थी।…
अनोखा स्वप्न - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर उदासी की, एक कहानी होती है। जिसे पढ़ना, सब पसंद करते हैं। भोगना नहीं। हर कहानी में एक दर्द होता है! जो भले हृदय में न हो, पर,…
एक सपना था - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
एक सपना था, जो जाग रहा। दूब पे बिखरी ओस का, स्पर्श जो था पाँओं को। विपन्नता से जीवनयापन का, कुल ज्ञान था गाँवों को। पेड़ों की एकांत स्…
ख़्वाब - कविता - विजय कुमार सिन्हा
अब ख़्वाबों की क्या कहें ये अपने तो होते नहीं पर नज़रों में सदा बने रहते हैं। बेगानी और बेदर्द ज़माने में सदा रंगीन सपने सँजोए रहते हैं।…
मेरे सपने लौटा दो - कविता - रूशदा नाज़
वो बचपन था ढेरों सपने सजाए थे इन आँखों ने साकार करेंगें एक दिन, हम होगें कामयाब एक दिन हर्षोल्लास के संग गाते थे गीत वक़्त के साथ साथ ह…
आँखों का सपना - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
दिन भर मुट्ठी में उजाला पकड़ता रहा, फिर भी क्यों मन अँधेरे से डरता रहा, पग ने भी जाने कितना पथ चल डाला, कहते जीवन को अब भी है, मधुशाला…
एक ख़्वाब - कविता - प्रवीन 'पथिक'
जीवन की गोधूली में, अतृप्त आकांक्षाओं का स्वप्न; आशान्वित हो तैरता है। किसी संघर्ष की छाती पर, उठता ऑंखों में अंधड़; गुर्राता झंझा का …
वो ख़्वाब पुराने - कविता - मेघना वीरवाल
ख़्वाहिशों के इस जहान में हर दिन पल-पल में ख़्वाबों का मेला लगता है, कुछ है सामने कुछ भीड़ में खोया लगता है। हम वो है जो इस मेले में…
ख़्वाब - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिल-ओ-दिमाग़ में अनगिनत बहाने रखकर, हम सो गए ख़्वाब को सिरहाने रखकर। जब ख़्वाब दिमाग़ में आता है पूरा होने को मचलाता है, थोड़ा सा अभी वक्त …
अधूरा ख़्वाब - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
मेरी तन्हाई में ख़्वाब तेरे, ग़र रोज़-रोज़ दस्तक देते। चाहत के झरोखे से बाहर, दो बिंदु ताँक-झाँक में रहते।। मेरे कंपित अधरो की भाषा, जो न…
हर सपने पूरे होंगे अब - कविता - गौरव दात्रया
पल भर के लिए मूँदी आँखे, एक ख़्वाब ज़हन में डोल गया, एक ख़्वाब में थे ख़्वाब हज़ार, हर ख़्वाब अधूरा रह गया। सौ दफ़े हारा हूँ, सौ दफ़े म…
सुलगते ख़्वाब - कविता - अनूप मिश्रा 'अनुभव'
अंदाज़ मौसम का आज, फिर ख़ुशनुमा सा है। बुझी चिंगारी सुलग रही, उठ रहा फिर धुआँ सा है।। जले मकान में फिर से आग, लगे भी क्या भला। हाँ, बरस…
ख़्वाब मन में कई पल गए - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 ख़्वाब मन में कई पल गए, तेरे आने से ग़म गल गए। वक़्त पर साथ तेरा मिला, तीर नैनो से वो च…
ऐसे मेरे सुनहरे सपने हैं - कविता - डॉ. सत्यनारायण चौधरी
ऐसे मेरे सुनहरे सपने हैं। जहाँ नहीं हो कोई पराया, सब अपने ही अपने हैं। जात-धर्म का भेद मिटे, चाहे कितने ही हों अलग वेश, बस प्यार फले- …
मेरे सपनों को साकार होने दो - कविता - कुलदीप सिंह रुहेला
मेरे सपनों को साकार आज होने दो, मुझको आज साहित्यकार होने दो। चंद पन्नों का क़लम का राही हूँ मैं, मुझको इसका पहरेदार रहने दो। है गुज़…
आप ख़्वाब हो जाओ - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 आप दिल की किताब हो जाओ। ज़िंदगी का हिसाब हो जाओ।। आपको पढ़ सकूँ सलीक़े से, दो घड़ी म…
निराला सपनों का संसार - गीत - रमाकांत सोनी
अपनों का मिलता स्नेह और प्रेम की मधुर फुहार, जीवन में आनंद हर्ष का लग जाए मधुर अंबार। निराला सपनों का संसार। सबसे हिल-मिल ख़ूब मिले समर…
प्रणय स्वप्न - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
कमल-नयन का सुख-स्वप्न पुष्प छू लिया, अन्तर्मन, हर सुरों में गंध बसा है पुलकिल होंठ अपावन। जीवन का सौंदर्य दहक कर तन-मन का प्रणय, चहक क…
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