आप ख़्वाब हो जाओ - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"

अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1212 22

आप दिल की किताब हो जाओ।
ज़िंदगी का हिसाब हो जाओ।।

आपको पढ़ सकूँ सलीक़े से,
दो घड़ी माहताब हो जाओ।

मीत मैं प्यार का सवाल बनूँ,
आप झट से जवाब हो जाओ।

दर्द का दौर जब कभी आए,
आँख मैं आप आब हो जाओ।

जागते में अगर न हो मिलना,
नींद मैं आप ख़्वाब हो जाओ।

रूह पाकर महक ज़रा ख़ुश हो
आप खिलता गुलाब हो जाओ

हार भी जीत सी लगे मुझको,
आप ऐसा ख़िताब हो जाओ।

सिर्फ़ आँखों मे लाज हो "अंचल"
आप बस वो हिज़ाब हो जाओ।।

ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)

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