संदेश
स्मृति के झरोखे से - लघुकथा - रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि"
शादी के बारह वर्ष बाद पति और बच्चों के साथ पहली बार होली मनाने मामा के घर आई रमा की नज़र एक खिड़की पर जा टिकी और अतीत की खुशनुमा स्मृति…
उपकार - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
लॉकडाउन में परदेस में फँसे राजू रिक्शा वाले के पास घर वापसी के पैसे भी ना थे ऊपर से उसका घर वहाँ से पूरे 400 किलोमीटर दूर था। बेचारा भ…
होली के रँगों जैसी - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
इस बार की होली नई नवेली दुल्हन हीरा के लिए अद्भुत एहसास लेकर आई थी, क्योंकि यह उसके ब्याह के बाद की पहली होली थी। अभी अभी नया घर संसार…
तुम और अपना गाँव - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कमला चाची दरवाजे पर टुकटुकी लगाए आज सुबह से अपने परदेसी बेटे जीवन की अनवरत प्रतीक्षा कर रही थीं, होली का दिन जो आ गया था। मगर बेरोज़गार…
पुराने संस्कार - लघुकथा - समुन्द्र सिंह पंवार
दादी जी के चेहरे की दिनों दिन बढ़ती चमक देख कर सब घर वाले हैरान हैं पर समझ नहीं पा रहे हैं और ना ही पूछने की हिम्मत कर पा रहे हैं। क्यो…
रक्तबीज - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
आज मेरी पत्नी बहुत परेशान थी। इन दिनों अखबारों में महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं की खबरों नें उसे डरा दिया है, तभी तो वह बेटी को स्कूल …
एक दोस्ती ऐसी भी - लघुकथा - श्रवण कुमार पंडित
पंद्रह वर्ष की रानी अपने मोबाइल पर बहुत व्यस्त रहा करती थी। एक दिन घर में उसकी बड़ी दीदी और पड़ोसी आपस में लड़ने लगे इस बात की भनक तक उसे…
अहंकार का पलायन - लघुकथा - उमाशंकर मिश्र
घुमडते हुए बादल हवाओं के सहारे कही जा रहे थे मानो उस किसान के खेत मे जिसे पानी की आवश्यकता थी प्रकृति सबकी आवश्यकताओ को ध्यान मे रखी थ…
सेवा और रिश्ता - लघुकथा - उमाशंकर मिश्र
गुलाबी ठंडक पड रही थी और कोरोना के वजह से गाँव की पगडंडी पर कोई वाहन नही था आखिर लॉक डाउन का मतलब क्या है एक बुजुर्ग को एक युवा दंपति …
चुनौती - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
राम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, फिर भी वो अपनी बेटी की अच्छी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास करता रहता रहता। बेटियाँ भी इस बात को बखू…
भगवान - लघुकथा - दिलशेर "दिल"
"भैया, कछु नईंऐं कोरोना-वोरोना! सब कमाई को धंधों बना लओ डॉक्टरन ने। हल्को सो खाँसी ज़ुकाम भओ नईं कि ठूस दओ कोरनटाईन में।…
संस्कार - लघुकथा - समुन्द्र सिंह पंवार
नई बहू से बात करते हुए सासु माँ बोली आज मेरे पैरों में बहुत दर्द है। तभी बेटा: देखों माँ के पैरों में दर्द है दबा दो। बहुँ: मै…
मसीहा - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
कोरोना क्या आया सरिता के लिए काल सा आ गया। शुरुआत में तो महीनों उसके वर्तमान शहर में कोई मरीज नहीं मिला। लेकिन फिर कोरोना ने उसके श…
आज़ादी - लघुकथा - सुनीता रानी राठौर
राजू अपने पिता के साथ उदास बैठा था। घर के आसपास पूरे गाँव में बाढ़ का पानी भरा था। चार महीने से कोरोना के वजह से स्कूल की छुट्टी थी…
फरिश्ते - लघुकथा - सतीश श्रीवास्तव
खटिया पर पड़े बीमार पिता ने आवाज लगाई- "परमेश्वर एक गिलास पानी तो दे गर्म करके... कहते गर्म पानी बीमारी में अच्छा होता है।&quo…
मूक रिश्ता - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
अब जब भी वह दिखती है अनायास ही बीता समय चलचित्र की तरह घूम जाता है। अभी अधिक समय बीता भी नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की ही ब…
सच्ची भक्ति - लघुकथा - सुनीता रानी राठौर
रामू एक निर्धन और अनाथ बालक था जिसे अपने माता-पिता का नाम नहीं पता था। बचपन से ही मंदिर में साफ सफाई का कार्य कर रहा था। पर जब पूजा…
आओ जानें नागपञ्चमी क्यों मनाई जाती है - लघुकथा - अतुल पाठक "धैर्य"
हमारे धार्मिक सनातन देश में प्राचीनकाल से ही नागपूजा की परम्परा चली आ रही है। हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पञ्चमी के दिन…
तो दुनिया कितनी अच्छी होती - लघु बाल कथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
एक जंगल में एक भोलू नाम का ऊंट रहता था। वह सभी की मदद करता था, अगर कोई उसको अनदेखा भी करता तो भी वह परवाह नहीं करता। एक दफा की बात…
हत्या या एक्सीडेंट - लघुकथा - दिलशेर "दिल"
रेलवे क्रोसिंग बन्द होने की वजह से गाड़ियों की काफी लंबी कतार लग चुकी थी, मुझे बहुत तेज़ी थी मैंने अपनी गाड़ी और गाड़ियों को ओवरटेक करत…