सेवा और रिश्ता - लघुकथा - उमाशंकर मिश्र

गुलाबी ठंडक पड रही थी और कोरोना के वजह से गाँव की पगडंडी पर कोई वाहन नही था
आखिर लॉक डाउन का मतलब क्या है

एक बुजुर्ग को एक युवा दंपति पैदल ही लेकर ट्रेजरी आफिस पहुंच गये।
जीवन प्रमाणपत्र यानी बुजुर्ग जिंदा है। उस प्रमाण पत्र को ट्रेजरी आफिस के खिडकी मे एक हाथ बढा देने के लिए 
और उस प्रमाणपत्र को लेकर ट्रेजरी आफिस के 
अधिकारी ने बता दिया कि सरकारी आफिस भ्रष्टाचार का अड्डा नही, सेवा केन्द्र भी है।

अब तो केन्द्रीय कर्मचारियों की पेशन बहुत खुबसूरत हो गयी है अंकल आपकी सेवा तो खूब होती होगी।

हाँ आज बहुत होगा अच्छा खाना और गर्म पानी भी मिल जायेगा।
अपनी एकलौती बेटी और दमाद की ओर कातर निगाहों से देखता हुआ पेंशनर ने कहा।
मायूस आँखों से दो बूंद आँसू ढूलक पडे और ट्रेजरी के अधिकारी सारी कहानी समझ गये।

उमाशंकर मिश्र - मऊ (उत्तर प्रदेश)

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