सच्ची भक्ति - लघुकथा - सुनीता रानी राठौर

रामू एक निर्धन और अनाथ बालक था जिसे अपने माता-पिता का नाम नहीं पता था। बचपन से ही मंदिर में साफ सफाई का कार्य कर रहा था। पर जब पूजा का समय होता तब पुजारी जी उसे मुख्य पूजा स्थल पर जाने से रोक देते क्योंकि उसकी जाति का पता नहीं था।

एक रात पुजारी जी की तबीयत अचानक खराब हो गई। मौसम भी खराब था। बारिश हो रही थी। पुजारी जी को डॉक्टर के पास ले जाना संभव नहीं था।

पुजारी जी हाथ जोड़कर भगवान से मन्नतें करते रहे पर तबीयत में सुधार नहीं हो रही थी। रामू से पुजारी जी की हालत देखी नहीं गयी और वह भी हाथ जोड़कर प्रभु के समक्ष बैठ गया और पुजारी जी की तबीयत ठीक होने की प्रार्थना करने लगा। कुछ घंटे के अंतराल में उनकी तबीयत थोड़ी सुधरने लगी, बुखार भी उतरने लगा। आराम महसूस होते हीं उनकी आ लग गई। 

नींद आते हीं उन्होंने स्वप्न देखा जिसमें प्रभु कह रहे थे कि मेरा सच्चा भक्त तो रामू है जो मेरी आस-पास के स्थलों को साफ- सफाई कर स्वच्छ और शुद्ध बनाता है ताकि तुम शांति से पूजा कर सको। उसके हृदय में सबके लिए स्नेह और आदर है। उसकी सच्ची भक्ति का फल है कि तुम स्वस्थ हो।
तभी पुजारी जी की आंख खुल गई। मन ही मन प्रभु को प्रणाम किया और भक्ति का अर्थ समझ रामू को प्यार से गले लगा लिया।

सुनीता रानी राठौर - ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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