संदेश
कर माँ की सेवा - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
ना माँ से बढ़के है जग में कोई। सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।। तेरे लिए कष्ट उठाती है माँ, तुझे दुनिया में लाती है माँ, तुझे अपना दूध प…
सूना-सूना लगता है - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तेरे बिन घर अपना ये, सूना-सूना लगता है। फूलों ने खिलना छोड़ दिया, भौरों ने भी मुख मोड़ लिया। पौधे बिन जल के सूख गए, सबने निज बंधन तोड़…
माँ - कविता - अभिजीत कुमार सिंह
इस ज़िंदगी की दानी माँ इस ममता की कहानी माँ, लिपटाए मुझे अपनी गोद में लोरी सुनाए मुँह-ज़बानी माँ। जब रात के अँधियारे में माँ ने पलक झ…
माँ - कविता - भुवनेश नौडियाल
माँ के प्रेम से सिंचित होकर, इस जगत को जान पाया। अमृत दूध धारा से, तूने मुझको है पाला। प्रणिपात है देव को, उसने रूप अपना दिया। इस जगत …
माँ तुम कभी थकती नहीं हो - कविता - विजय कृष्ण
माँ तुम कभी थकती नहीं हो। सुबह से लेकर शाम तक, घर हो या दफ़्तर, सबके आराम तक, बैठती नहीं हो, माँ तुम कभी थकती नहीं हो। अपने बच्चों को …
माँ की परिभाषा - कविता - समय सिंह जौल
वह पढी लिखी नहीं, लेकिन ज़िंदगी को पढा है। गिनती नहीं सीखी लेकिन, मेरी ग़लतियों को गिना है।। दी इतनी शक्ति हर जिव्हा बोले, देश प्रेम की …
वृद्धाश्रम में माँ को बेटे का इंतज़ार - कविता - डॉ. ललिता यादव
एक माँ जिसे उसका बेटा वृद्धाश्रम में हर रविवार मिलने आने की बात कहकर छोड़ गया है। माँ उसका इंतज़ार कर रही है, कविता के रूप में कहती है-…
और मैं बन गई मम्मा - संस्मरण - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"
गोधूलि बेला में, मैं ध्यान करने जा रही थी कि तभी मोबाइल की घंटी बजी, बेटू ने कहा "मम्मा मेरा सीजीएल का रिजल्ट आ गया, मेरा रैंक भी…
उत्तरदायित्व - लघुकथा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
माहिष्मती गाँव में ललिता देवी नामक एक सुसभ्य सुसंस्कृत महिला रहती थी। उनके पति गौरी शंकर एक पढ़े लिखे और निहायत भद्र स्वभाव के स्वाभिमा…
अहसास - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
जब से तू आया है मेरी ज़िंदगी में, ज़िंदगी में अहसासों को आगे बढ़ाया तुमने। अहसास हुआ ज़िम्मेदारी का, बिन डोर उड़ रही थी यह ज़िंदगी की पतंग…
माँ - कविता - प्रियांशु शर्मा
जब बोलते हैं माँ का नाम तो समर्पण की देवी का चित्र आ जाता है रूठते हैं हम, मनाती हैं माँ, रोते हैं हम, हँसाती है माँ। भूखे हों तो खाना…
तेरी गोदी की चाहत - कविता - रविन्द्र कुमार वर्मा
तेरी गोदी की चाहत, माँ मुझे फिर से सताती है। करूँ क्या आजकल, हर-पल तुम्हारी याद आती है।। तेरे बिन गुज़रे सालों में, रहा मैं उलझा जालों …
माँ - कविता - कमला वेदी
माँ तेरे चरणों में मेरा सजदा है मेरी साँसों में तेरा अक्स बसता है। कहाँ एक पल भी जुदा तू मुझ से, धमनियों में मेरे, तेरा रक्त दौड़ता …
माँ - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
ममता की मूरत माँ होती ख़ूबसूरत माँ, आँचल की छाँव तेरी हर बला टालती। करती ख़ूब प्यार माँ मधुरम दुलार माँ, ममता के मोती सारे मुझ पर वारती।…
सदा सुखी रहो बेटा - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
रिटायर्ड इनकम टैक्स ऑफिसर कृष्ण नारायण पांडे आज अपनी आलीशान कोठी में बहुत मायूसी महसूस कर रहे थे, क्योंकि उनकी दो हफ़्ते से बीमार पत्नी…
माँ - कविता - आलोकेश्वर चबडाल
प्यासे को पनघट है माँ। पीपल छाया वट है माँ।। नीर पीर सब छूमन्तर, गंगा जी का तट है माँ। हर डोरी पर चल पाती, एक पारंगत नट है माँ। जादूगर…
माँ की ममता - कविता - गणपत लाल उदय
तुम्हारे हर रुप को मेरा वन्दन है माँ, तेरे इन चरणों को मेरा प्रणाम है माँ। माँ तू ही यमुना और तुम ही जमुना, तुम ही गंगा, कावेरी तुम ही…
माँ - कविता - भगवत पटेल
माँ तुम एक विचार हो, मेरी आध्यात्मिकता का आधार हो, मैं जब भी सोया और जागा, तो पाया कि मेरे सपनों का संसार हो। माँ तुम एक विचार हो।। रि…
माँ - कविता - नीरज सिंह कर्दम
नौ महीना सोया था मैं अपनी माँ के गर्भ में, सुख दुःख से एक दम दूर कितना कष्ट सहा होगा मेरी माँ ने, मुझे इस दुनिया में लाने में। आया जब…
मातु हृदय अभिराम - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
माँ के शोणित में सना, मातृ उदर है जात। पान क्षीर अरु नेह नीर, मिला धरा सौगात।। ममता की छाया तले, अमन सुधा सुख चैन। अनाथ आज मातु बिना,…