तुम्हारे हर रुप को मेरा वन्दन है माँ,
तेरे इन चरणों को मेरा प्रणाम है माँ।
माँ तू ही यमुना और तुम ही जमुना,
तुम ही गंगा, कावेरी तुम ही नर्मदा।।
माँ तुझमे है दुर्गा और तुझमे लक्ष्मी,
ममता की हो मूरत भोली सी सूरत।
तुझमे ही गोरा एवं काली कुष्मांडा,
पूरी करती हो सदा मेरी हर ज़रूरत।।
माता हम सब है तुम्हारी ही संतान,
देती हो मुँख निवाला और मुस्कान।
तुम्हारे चरण में विश्व के चारों धाम,
तुझमे माँ सीता और राम भगवान।।
नौ महिने मुझको तुने गर्भ में पाला,
कई मुश्किलें परेशानियों को झेला।
सींचा था मुझको अपने इस लहू से,
और दिखाया मुझे दुनिया उजाला।।
गाय में ममता कुतिया में भी ममता,
शेरनी अथवा हथनी में देखा ममता।
जीव जन्तु सभी मे मातृत्व लालसा,
जुटा लेती हो बच्चों के लिए क्षमता।।
गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)