अभिजीत कुमार सिंह - चंडीगढ़
माँ - कविता - अभिजीत कुमार सिंह
शनिवार, सितंबर 11, 2021
इस ज़िंदगी की दानी माँ
इस ममता की कहानी माँ,
लिपटाए मुझे अपनी गोद में
लोरी सुनाए मुँह-ज़बानी माँ।
जब रात के अँधियारे में
माँ ने पलक झपकानी,
तब मैंने छोटी आँखों से
उसकी ख़ूबसूरती जानी।
ये देख मै ख़ुशी
से खिलखिला उठा,
नींद से सोई माँ को
अचानक से दिया उठा।
आँखे खोल माँ
मुझे क़रीब लाई,
बालों को सहलाकर
माथे में चुम्बन लगाई।
चिपका के रखा माँ ने
अपने सीने की सराहट से,
सुख दुःख के आँसू पी गई
मेरी मुस्कुराहट से।
रातों को उठ-उठ कर
माँ का नाम लबो पर आए,
हाथों को थामे चेहरे की
और देख वो मुस्कुराए।
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