माँ - कविता - भगवत पटेल

माँ तुम एक विचार हो,
मेरी आध्यात्मिकता का आधार हो,
मैं जब भी सोया और जागा,
तो पाया कि मेरे सपनों का संसार हो।
माँ तुम एक विचार हो।।

रिश्तो में आदि और अंत हो,
जीवन का अंतिम बसंत हो,
गाँव की बेटी, बहना, देवी बनकर रहीं,
आज भी निराकार होकर आकार हो।
माँ एक विचार हो।।

मन बुद्धि आत्मा की एक सहज अनुभूति हो,
सभ्यता संस्कृति व परंपरा की प्रतिमूर्ति हो,
रिश्ते का कभी नहीं किया अंत,
हो पतझड़ चाहे हो बसंत,
आत्मा में परमात्मा का साक्षात्कार हो।
माँ तुम एक विचार हो।।

भगवत पटेल - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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