संदेश
चले हैं पैदल - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
सबल हाथों से उठा स्नेह जल, चले हैं पैदल। बाहर के जल से, अन्तर जगाना है। जल की भान्ति, मन पावन बनाना है। ओम् धुन सदल, चले हैं पैदल। मा…
मेघ, सावन और ईश्वर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | सावन पर दोहे
बरसी सावन की घटा, गरजे मेघ प्रचण्ड। ईश्वर शिव पूजन जगत, भारत बने अखण्ड॥ सती नाथ झूला झुले, सावन पावस मास। भूत प्रेत नंदी स्वजन, ना…
मार्कण्डेय महादेव मंदिर - लेख - वारीन्द्र पाण्डेय
शिव की अगाध श्रद्धा का केंद्र हैं मार्कण्डेय महादेव मंदिर , यहाँ मिलता है पुत्र कामना की पूर्ति का आशीर्वाद। सावन भर लगता है भक्तों का…
जय शिव शंकर - कविता - रजनीश तिवारी
जय बोलो जय जय शिव शंकर रूद्र महादेव बम बम हर हर जय बोलो जय जय शिव शंकर है जगत में सबसे निराला मेरा बाबा भोला भाला पहने देखो सर्पो…
शिव का सार - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
गहन क्लेश में सुख का आगार योग से प्राप्य शिव का सार। बृहद क्षेत्र में व्यापक आकाश सर, कल्प दिए सरलता से संवत्सर। निरंजन अरूप यद्यपि सर…
शिव आपको प्रणाम है - गीत - सुशील शर्मा
सर्वविग्रहाय शिवाय तत्पुरुषाय अखण्डाय शिव आप अविराम हैं। हर्यश्वाय यज्ञाय महाकायाय हरये विष्णुप्रसादिताय शिव आपको प्रणाम है। महाप्रस…
शिव पार्वती मंगलगीत - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
शिव भोले भंडारी, शिव भोले भंडारी कैलाश के राजा, शिव भोले भंडारी नीलकंठ हे महादेव तुम भोले भंडारी जड़ चेतन के स्वामी तुम भोले भंडारी मह…
शिव स्वरूप श्री नीलकंठ - गीत - उमेश यादव
दिव्य मनोहर सुन्दर नभचर, शिव दर्शन मनभावन है। शिव स्वरूप श्री नीलकंठ का, शुभदर्शन अति पावन है॥ रावण वध से पूर्व राम ने, शिवशंकर आह्व…
याचना - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जीवन क्या है यही समझने, गंगा जल भर लाया हूँ। महादेव! मैं याचक बनकर, तेरे दर पे आया हूँ। बने न बंजर धरती सारी, विष का प्याला पी डा…
श्री शिव रुद्राष्टकम् - स्तोत्रम् - उमेश यादव
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥ हे ईश ईशान, हे व…
आराध्य प्रभु हे शिव भोले - कविता - गणेश भारद्वाज
आराध्य प्रभु हे शिव भोले, जगती अंबर तुझ में डोले। मेरे मन में वास करो तुम, मेरे सारे पाप हरो तुम। तुम बिन जग में किसको ध्याऊँ, कण-कण म…
सावन में शिव अर्चना - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सावन में शिव अर्चना सोम दिवस अति नेम। अवढर दानी चाहते शुद्ध सरल शुचि प्रेम॥ शुद्ध सरल शुचि प्रेम दूध घी चन्दन वारो। जप लो नमः शिवाय…
शंकर - कविता - हर्ष शर्मा
सूक्ष्म से सूक्ष्म शंकर, विशाल से विराट शंकर, आकार शंकर, साकार शंकर, विश्व में निरंकार शंकर, घुँघरू की झंकार है शंकर, शब्दो का ओ…
समुद्र मंथन - कविता - पायल मीना
देव और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन रचाया था, क्षीरसागर के मध्य में मंदरांचल पर्वत को लाया था। वासुकी नाग को बनाकर जेवरी शुभारंभ मंथन …
तू तो मैं में, मैं में तू तू - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब से तेरी लगन लगी है कुछ भी और नहीं भाता। भाना तो अब दूर जगत से टूट गया झूठा नाता॥ रोम-रोम में हुलक मारती पुलक न जाने क्या कर दे। …
शिव ही सत्य है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दुनियाँ शिव ही सत्य है, महिमा अपरंपार। अन्तर्मन विश्वास से, हों प्रसन्न ओंकार॥ सदा अजन्मा चिरन्तन, बाघम्बर वागीश। भक्ति प्रेममय शिव…
भाव - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुममें और मुझमें बस एक समानता है, तुम भाव के भूखे हो और मैं भी। माना के तुम्हारे भाव और मेरे भाव में अंतर है ज़मीं आसमाँ का पर शब्द तो …
श्री काशी विश्वनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी, हो तुम कितने पावन धाम। 2 भोले बाबा जहाॅं स्वयं स्थापित कर, बनाए ज्योतिर्लिंग श्री काशी विश्वनाथ धाम। …
बाबा बैद्यनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
ज्योतिर्लिंगों में है, एक लिंग, है वो बाबा बैद्यनाथ धाम। बाबा बैद्यनाथ धाम 2 मनोकामना लिंगों में है, एक लिंग, है वो बाबा बैद्यनाथ धाम।…
शिव हैं भोले भंडारी - कविता - शालिनी तिवारी
शिव हैं आदि शिव हैं अनंत वो हैं भोले भंडारी, गले सर्प तन मृग छाला अविनाशी हैं डमरूधारी। जटा विराजत गंगा और माथे शोभित अर्धचंदा, गणप्रे…
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