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शिव स्वरूप श्री नीलकंठ - गीत - उमेश यादव
दिव्य मनोहर सुन्दर नभचर, शिव दर्शन मनभावन है। शिव स्वरूप श्री नीलकंठ का, शुभदर्शन अति पावन है॥ रावण वध से पूर्व राम ने, शिवशंकर आह्व…
याचना - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जीवन क्या है यही समझने, गंगा जल भर लाया हूँ। महादेव! मैं याचक बनकर, तेरे दर पे आया हूँ। बने न बंजर धरती सारी, विष का प्याला पी डा…
श्री शिव रुद्राष्टकम् - स्तोत्रम् - उमेश यादव
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥ हे ईश ईशान, हे व…
आराध्य प्रभु हे शिव भोले - कविता - गणेश भारद्वाज
आराध्य प्रभु हे शिव भोले, जगती अंबर तुझ में डोले। मेरे मन में वास करो तुम, मेरे सारे पाप हरो तुम। तुम बिन जग में किसको ध्याऊँ, कण-कण म…
सावन में शिव अर्चना - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सावन में शिव अर्चना सोम दिवस अति नेम। अवढर दानी चाहते शुद्ध सरल शुचि प्रेम॥ शुद्ध सरल शुचि प्रेम दूध घी चन्दन वारो। जप लो नमः शिवाय…
शंकर - कविता - हर्ष शर्मा
सूक्ष्म से सूक्ष्म शंकर, विशाल से विराट शंकर, आकार शंकर, साकार शंकर, विश्व में निरंकार शंकर, घुँघरू की झंकार है शंकर, शब्दो का ओ…
समुद्र मंथन - कविता - पायल मीना
देव और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन रचाया था, क्षीरसागर के मध्य में मंदरांचल पर्वत को लाया था। वासुकी नाग को बनाकर जेवरी शुभारंभ मंथन …
तू तो मैं में, मैं में तू तू - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब से तेरी लगन लगी है कुछ भी और नहीं भाता। भाना तो अब दूर जगत से टूट गया झूठा नाता॥ रोम-रोम में हुलक मारती पुलक न जाने क्या कर दे। …
शिव ही सत्य है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दुनियाँ शिव ही सत्य है, महिमा अपरंपार। अन्तर्मन विश्वास से, हों प्रसन्न ओंकार॥ सदा अजन्मा चिरन्तन, बाघम्बर वागीश। भक्ति प्रेममय शिव…
भाव - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुममें और मुझमें बस एक समानता है, तुम भाव के भूखे हो और मैं भी। माना के तुम्हारे भाव और मेरे भाव में अंतर है ज़मीं आसमाँ का पर शब्द तो …
श्री काशी विश्वनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी, हो तुम कितने पावन धाम। 2 भोले बाबा जहाॅं स्वयं स्थापित कर, बनाए ज्योतिर्लिंग श्री काशी विश्वनाथ धाम। …
बाबा बैद्यनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
ज्योतिर्लिंगों में है, एक लिंग, है वो बाबा बैद्यनाथ धाम। बाबा बैद्यनाथ धाम 2 मनोकामना लिंगों में है, एक लिंग, है वो बाबा बैद्यनाथ धाम।…
शिव हैं भोले भंडारी - कविता - शालिनी तिवारी
शिव हैं आदि शिव हैं अनंत वो हैं भोले भंडारी, गले सर्प तन मृग छाला अविनाशी हैं डमरूधारी। जटा विराजत गंगा और माथे शोभित अर्धचंदा, गणप्रे…
शिव मैं कुछ तुम जैसी हूँ - कविता - स्नेहा
शिव! मैं कुछ तुम जैसी हूँ... तुम भोले हो मैं भोली हूँ तुम ध्यानी हो मैं तुम्हारे ध्यान में ये सारा जग तुझमें बसता हैं और तू मुझमें ब…
चंद्रमौली भगवान - कविता - गणेश भारद्वाज
हे शिव शंकर डमरू वाले सीधे सादे भोले भाले भजन करूँ तन मन से तेरा अंतरमन में बसने वाले। पल में ख़ुश हो जाने वाला तुम सम ऐसा देव कहाँ है …
मेरा मन मंदिर भी शिवाला है - गीत - आशीष कुमार
बाबा बसे हो काशी नगरिया काशी नगरिया हो काशी नगरिया कभी तो आओ हमरी दुअरिया हमरी दुअरिया हो हमरी दुअरिया। मेरा मन मंदिर भी शिवाला है इसम…
हरि - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
कमल नयन पट, नमन सकल जर, खलल जगत जब, हरि उठ छल धर। तप जप वश कर, बम शिव धर वर, मटक कमर तब, भसम करत खर। क़हर परशुधर, बरसत डटकर, क्षत्र वध …
हर हर शंकर भोले दानी - चौपाई छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हर हर शंकर भोले दानी। देवासुर सब कीर्ति बखानी॥ द्वादश ज्योतिर्लिङ्गहि रूपा। त्रिलोकेश्वर रुप अनूपा॥ महादेव भुवनेश्वर लोका। कैलाशी हरते…
शशिधर बम बम - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
तिलक विजय सज गंग लट जट सट। हर हर सब पर बम बम बम बम॥ कंठ पर विषधर विष पिय जमकर। बम बम बम बम हर हर बम बम॥ सरपट करतल अपपठ फट कर। उग्र भव…
शिव हमारे आराध्य - कविता - शक्ति श्रीवास्तव
ओमकार का स्वर है फैला शिव नभ के हर द्वारे में, ओम शब्द की ध्वनि है गूँजी दुख के इस अँधियारे में। अंग-अंग है तृप्त हुआ, मन का भ्रम भी ल…