शिव भोले भंडारी, शिव भोले भंडारी
कैलाश के राजा, शिव भोले भंडारी
नीलकंठ हे महादेव तुम भोले भंडारी
जड़ चेतन के स्वामी तुम भोले भंडारी
महाशिवरात्रि का उत्सव है आया
शिव पार्वती के प्रेम का रंग है छाया
बारात चली भोले की, जग ये मुस्काया
गण सारे झूम रहे, क्षण अनुपम है आया
भोले भंडारी शिव भोले भंडारी...
ढोल नगाड़े बज रहे, भोले की जयकार
कंठ पे है वासुकि, किया भस्म से शृंगार
शीश चंद्र विराज रहे, जटा विराजे गंग
रूप विरुप कैलाशपति, देख नरनारी है दंग
भोले भंडारी शिव भोले भंडारी...
कृष्णपक्षकी चतुर्दशी, फागुन ऋतुराज बसंत
भोलेशंकर का ब्याह रचा सुघड़ पार्वतीके संग
परिणय पर्व शिवशक्ति का ये, छाई जग उमंग
सृजन सृष्टि है हो रही शिव गौरा जी के संग
भोले भंडारी शिव भोले भंडारी...
हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)