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मेघ, सावन और ईश्वर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | सावन पर दोहे
मेघ, सावन और ईश्वर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | सावन पर दोहे
शनिवार, जुलाई 27, 2024
बरसी सावन की घटा, गरजे मेघ प्रचण्ड।
ईश्वर शिव पूजन जगत, भारत बने अखण्ड॥
सती नाथ झूला झुले, सावन पावस मास।
भूत प्रेत नंदी स्वजन, नाँचें गाएँ पास॥
हरि ब्रह्मा सब देवगण, ऋषि मुनि सब गन्धर्व।
सती रमण झूलन मगन, आनंदित हैं सर्व॥
त्रिपुरारी जगदम्ब सह, सावन वृष्टि फुहार।
भींगे गंगाधर सती, चन्द्रमौलि जलधार॥
गंगाधर शंकर प्रभो, ज्योतिर्लिंग अपार।
सावन की जलधार सम, कृपा बरस ओंकार॥
मंगल सावन दिवस शुभ, शिव प्रदोष उपवास।
मिटे सकल बाधा विपद, शिव पूजन विश्वास॥
सावन बूंदों की झड़ी, शिव शंकर अभिषेक।
महाकाल शम्भो हरे, ब्रह्म रूप हरि एक॥
विश्वनाथ शंकर स्वयं, शूलपाणि जगदीश।
त्रिपुरारी पशुपति विभो, डमरूधर गौरीश॥
भीमाशंकर जगत्पति, उमानाथ नागेश।
बैद्यनाथ कल्याणकर, त्र्यम्बकनाथ महेश॥
अमलेश्वर अमरेश शिव, महादेव परमेश।
नंदीश्वर केदार प्रभु, कृपासिंधु रामेश॥
बाघम्बर गिरिजेश शिव, सदा सच्चिदानन्द।
मल्लिकार्जुन उमेश्वर, खिलो कृपा मकरन्द॥
नंदीश्वर कैलाश शिव, भूतनाथ हर शोक।
लिंगराज भुवनेश हर, द्वादश लिंगालोक॥
उमानाथ आराध्य शिव, जटाजूट शिवलोक।
तन मन अर्पित साधना, शिव शंकर हर शोक॥
एकादश हनुमान बन, रुद्र रूप अवतार।
शरणागत वत्सल प्रभो, भौतिक तारणहार॥
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