संदेश
जन्माष्टमी - कविता - डॉ॰ रेखा मण्डलोई 'गंगा'
भादो मास अष्टमी का दिन आया, पुष्प मालाओं से घर द्वार सजाया। जन्मदिवस मेरे कान्हा का आया, सबके मन में उमंग भर लाया। माखन चोर बनकर जो आय…
ब्रज का राज दुलारा - गीत - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
इठलाए मैया की गोदी, ब्रज का राज दुलारा। ऐसा दृश्य मनोहर था, लगा आँख को प्यारा॥ चोरी-चोरी चुपके-चुपके, माखन खाते जाते, टुकुर टुकुर मै…
कृष्ण - गीत - उमेश यादव
प्रेम मगन मनमोहना, छवि प्रभु की प्यारी। दूर करो कष्ट सोहना, केशव गिरधारी॥ पग ठुमक ठुमक प्रभु चलिहें। पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥ मन …
मैं कान्हा बोल रहा हूँ - कविता - अनूप अंबर
लोग मुझे कहते हैं कान्हा मुरलीधर श्याम, लेकिन मेरा जीवन था बिल्कुल न आसान। जन्म से पहले मेरी, मृत्यु के विधान बने, मेरे ख़ुद के मामा, म…
राम जन्म - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
राम जन्म की बेला में मन खो गया। प्रभु चरणों का दर्शन मुझको हो गया॥ माँ कौशल्या ने जब उपकार किया, प्रभु ने देखो अवधपुरी अवतार लिया। दशर…
राम - सवैया छंद - सुशील कुमार
राम के नाम सा नाम नहीं जग संत कहें श्रुति चारि बखानी, राम कथानक राम स्वयं बिन राम नहीं कहीं राम कहानी। राम बिना नहिं राम कहीं बस राम…
याचना - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जीवन क्या है यही समझने, गंगा जल भर लाया हूँ। महादेव! मैं याचक बनकर, तेरे दर पे आया हूँ। बने न बंजर धरती सारी, विष का प्याला पी डा…
श्री शिव रुद्राष्टकम् - स्तोत्रम् - उमेश यादव
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥ हे ईश ईशान, हे व…
आराध्य प्रभु हे शिव भोले - कविता - गणेश भारद्वाज
आराध्य प्रभु हे शिव भोले, जगती अंबर तुझ में डोले। मेरे मन में वास करो तुम, मेरे सारे पाप हरो तुम। तुम बिन जग में किसको ध्याऊँ, कण-कण म…
सावन में शिव अर्चना - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सावन में शिव अर्चना सोम दिवस अति नेम। अवढर दानी चाहते शुद्ध सरल शुचि प्रेम॥ शुद्ध सरल शुचि प्रेम दूध घी चन्दन वारो। जप लो नमः शिवाय…
शंकर - कविता - हर्ष शर्मा
सूक्ष्म से सूक्ष्म शंकर, विशाल से विराट शंकर, आकार शंकर, साकार शंकर, विश्व में निरंकार शंकर, घुँघरू की झंकार है शंकर, शब्दो का ओ…
समुद्र मंथन - कविता - पायल मीना
देव और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन रचाया था, क्षीरसागर के मध्य में मंदरांचल पर्वत को लाया था। वासुकी नाग को बनाकर जेवरी शुभारंभ मंथन …
तू तो मैं में, मैं में तू तू - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब से तेरी लगन लगी है कुछ भी और नहीं भाता। भाना तो अब दूर जगत से टूट गया झूठा नाता॥ रोम-रोम में हुलक मारती पुलक न जाने क्या कर दे। …
शिव ही सत्य है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दुनियाँ शिव ही सत्य है, महिमा अपरंपार। अन्तर्मन विश्वास से, हों प्रसन्न ओंकार॥ सदा अजन्मा चिरन्तन, बाघम्बर वागीश। भक्ति प्रेममय शिव…
रामत्व - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
कर्म: पावन नाम को पावन गाएँ, मिल-मिल कर सब ही दोहराएँ। कर्मों की जग करता पूजा, राम नाम हैं जीवन दूजा॥ प्रण: साथ के संगी छूट न जाएँ, …
आ भी जाओ श्याम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
तुम बिन रहा न जाए अब, आ भी जाओ श्याम। तरस रही मुरली श्रवण, मैं राधे प्रिय वाम॥ तुम साजन माधव मदन, मैं राधे रति श्याम। केशव की कुसुम…
भाव - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुममें और मुझमें बस एक समानता है, तुम भाव के भूखे हो और मैं भी। माना के तुम्हारे भाव और मेरे भाव में अंतर है ज़मीं आसमाँ का पर शब्द तो …
श्री जगन्नाथ जी महिमा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रथयात्रा पावन नमन, जगन्नाथ श्रीधाम। नैन युगल कंजल कमल, दर्शन कोटि प्रणाम॥ बहन सुभद्रा चारुतम, संग दाऊ बलराम। तिहूँ सुशोभित पृथक् रथ…
श्री काशी विश्वनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी, हो तुम कितने पावन धाम। 2 भोले बाबा जहाॅं स्वयं स्थापित कर, बनाए ज्योतिर्लिंग श्री काशी विश्वनाथ धाम। …
भक्त और भगवान् - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुपम मधुरिम अरुणिमा, शुभ प्रभात उत्थान। पूजन वन्दन शुद्ध मन, भक्त और भगवान्॥ खिले कुसुम सरसिज सरसि, कुसुमाकर वरदान। भक्ति भक्त चित…