संदेश
परी - कविता - निर्मला सिन्हा
वो परियों की दुनिया और उस परीलोक की शहज़ादी जैसी मेरी बिटिया। ख़्यालों के उपवन में बेख़ौफ़ कुलाँचे मारता उसके मन का मृग... बावरे पंछी सा…
बनी बेटियाँ शान देश की - लावणी छंद - महेन्द्र सिंह राज
बनी बेटियाँ शान देश की, जिनने मान बढ़ाया है। भारत का हर बच्चा बच्चा, गीत ख़ुशी के गाया है।। कोई आसमान में उड़ती, कोई जीती स्वर्ण पदक। …
कभी नहीं मैं हारूँगी - कविता - प्रीति त्रिपाठी
कभी नहीं मैं हारूँगी माँ, मैं तेरी ही बेटी हूँ। चाहे मन उद्वेलित हो या जीवन यह रसहीन रहे, उड़ जाने को मन तरसे या गति से अपने क्षीण रहे,…
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो - कविता - शमा परवीन
हक़ हैं हमें भी कहने दो, बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो। हम भी करेंगे ऊँचा काम मत रोको हमें, आगे बढ़ने दो, बेटी हूँ हमें भी शान से जी…
बस यही कहानी है - गीत - शमा परवीन
पापा की परियों की बस यही कहानी है, आँखो मे है सपने और थोड़ा सा पानी है। जुनून है हौसला है आगे बढ़ने के लिए, इस लिए सब कुछ पाने की ज़िद…
बेटी के सुनहरे क़दम - कविता - सुरेन्द्र सोलंकी
बड़ा प्यारा है ये स्वर छोटे से होंठ गाते हैं जब, हर कोई दीवाना हो जाता है ये मुस्कुराते हैं जब। बड़ी प्यारी चाल लगती है, बेटी के सुनहर…
बेटी - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
लक्ष्मी अवतार बेटी, घर का संस्कार बेटी, देश का सम्मान होती, दो दो वंश तारती। शिक्षा की जोत जलाती, घर में रौनक लाती, हुनर कौशल दिखा, घर…
बेटी है शृंगार जगत - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीवन की पहली किरण सुता, परी कुदरती दुनिया समझो। बेटी बहना माँ बेटी वह, शोकहारिणी पत्नी समझो। सुता सृष्टि की प्रथम अरुणिमा, आलोकित जग क…
दोष - लघुकथा - श्रवण निर्वाण
"मेरे में कितने ग्राम खून है" सरला ने सहज भाव से मुझसे पूछी। मैंने हाथ में रिपोर्ट थमा दी और कहा आप उस कमरे में डॉक्टर को दि…
डोली चली जब - कविता - अंकुर सिंह
डोली चली जब बाबुल घर से, माँ बोल उठी अपनी सुता से। हुई पराई अब तुम बेटी, नाता तुम्हारा अब उस घर से।। तात कह रहे अब सुता से, तुम पराई ह…
चिड़िया (बेटी) - गीत - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
एक चिड़िया चमन में चहकने लगी, जनक अँगना बहारें महकने लगी। काँध बेटी चढ़े पग चले पग धरे, तात की लाड़ली ख़्वाब पूरे करे, लाड़-लाड़ो परी श…
बहन-बेटियाँ - कविता - कर्मवीर सिरोवा
बेटियाँ हँसती हैं तो घर की दीवारें करती हैं बात, बेटियाँ दो दो घर सँवारें, चलती हैं बात। बहन बेटियों के लिए हर सीने में प्यार हो, मुरव…
दहेज दानव - कविता - विनय "विनम्र"
दहेज के बाज़ार में बिकती हुई ये बेटियाँ, सुन्दरता के मापदंड में टिकती नहीं ये बेटियाँ, शासन भी इंकलाब संग अकसर लगाता है गुहार, स्लोगन म…
नारी शक्ति - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
नारी हूँ मैं, ख़ुद में ही मैं शक्ति हूँ। जीवन की हैं शक्ति मुझसे, हर जीवनी की हैं मुक्ति मुझसे, हर शक्ति का रूप हैं मुझमें, हर स्वरू…
मैं परी हूँ जीवन की - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मैं परी हूँ जीवन की, न केवल खुशी अपनों की, अहसास हूँ हर पल, चाहत हूँ नवयुग के आधान का, धरणी हूँ ममता का सतत् क्षीरसागर पालिका भविष…
जब एक बेटी पढ़ती है - गीत - शमा परवीन
जब एक बेटी पढ़ती है, कई पीढ़ियों को साक्षर करतीं हैं। अंदाज, अद्भुत, निराला, बेटियों का बोलबाला, अक्षर-अक्षर फ़ैला उजाला। ये सब सम्भव…
बेटी - कविता - नौशीन परवीन
माँ, मुझे कोख में ही रख लो ना! लगता है डर इस बेरहम दुनिया से, मुझे कहीं छुपा लो ना माँ! मैं आना तो चाहतीं हूँ इस दुनिया में पर कही…
बेटी - कविता - कुशाल तिवारी
रोज़ ख़बर सुन लेता हूँ टीवी और अख़बारों में। बेटी की इज़्ज़त उलझी है, तर्क वितर्क विचारों में।। कितने केस सुने मैंने है और कितनों को सज़ा मि…
उफ़ ये बेटियाँ - गीत - शमा परवीन
उफ़ ये बेटियाँ, मासूम सी ये बच्चियाँ, आरज़ूओं से दिलेर हैं, समाज से तंग ये बेटियाँ, गुलाब की ये पंखुड़ियाँ, उफ़ ये बेटियाँ। आँसूओं की …
बेटियाँ - कविता - आर सी यादव
अंकुरित होते ही कोख में मुस्कुराती है बेटियाँ। माँ के मन के अनुभवों से सुख का एहसास कराती हैं बेटियाँ।। माँ की पीड़ा को समझती सहमती हर…