अंकुरित होते ही कोख में
मुस्कुराती है बेटियाँ।
माँ के मन के अनुभवों से
सुख का एहसास कराती हैं बेटियाँ।।
माँ की पीड़ा को समझती सहमती
हर्षाती हैं बेटियाँ।
थके-हारे पिता की भूख-प्यास
मिटाती हैं बेटियाँ।।
घर-आँगन में चहलकदमियों से
मन रिझाती हैं बेटियाँ।
सूनी मन की आँखों में
नव उत्साह जगाती हैं बेटियाँ।।
नन्हें क़दमों से फुदकती इतराती
मन लुभाती हैं बेटियाँ।
मीठी तोतली बोली से
नित्य हँसाती हैं बेटियाँ।।
मिट जाते हैं हर ग़म
जब सामने आती हैं बेटियाँ।
माँ बाप के सपनों को
सहर्ष सजाती हैं बेटियाँ।।
यौवन रुप में जब
सामने आती हैं बेटियाँ।
माँ-बाप की उदासी का
पैगाम लाती हैं बेटियाँ।।
विदा होकर एक दिन
घर छोड़ जाती हैं बेटियाँ।
बिखर जाती हैं खुशियाँ
बहुत रुलाती हैं बेटियाँ।।
धरा पर हर धर्म
निभाती हैं बेटियाँ।
बेटी-बहन, पत्नी-माँ का
फ़र्ज़ निभाती हैं बेटियाँ।।
माँ बाप के शुष्क होंठों पर
मुस्कान लाती हैं बेटियाँ।
हर पीड़ा को हरती
दैवीय शक्ति होती हैं बेटियाँ।।
आर सी यादव - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)