दोष - लघुकथा - श्रवण निर्वाण

"मेरे में कितने ग्राम खून है" सरला ने सहज भाव से मुझसे पूछी। मैंने हाथ में रिपोर्ट थमा दी और कहा आप उस कमरे में डॉक्टर को दिखाओ। सरला के साथ एक महिला भी थी। वैसे अस्पताल में जाँच करवाने वाले हर व्यक्ति की   उत्सुकता रहती है कि रिपोर्ट क्या है उसकी भी उत्सुकता थी कि कितने ग्राम खून है।
"पिछली बार तो इसे खून चढ़ाना पड़ा था" सरला के साथ आई महिला ने कहा। महिला ने बताया कि वह उसके बेटे की बहू है और इसे पाँचवाँ महीना चल रहा है।

इसको रोज़ाना आयरन की गोली खिलाओ, खून की कमी पूरी हो जाएगी। "इसे रोज थोड़ा दूध भी पिलाओ" मैंने कहा।
सरला की सास ने कहा कि घर में आठ लोग हैं, इस महँगाई में इसे दूध कहाँ से पिलाए, मेरा लड़का मज़दूरी करके हम सबका पेट भी मुश्किल से भरता है।
ग़रीबी और लाचारी हर तरफ़ झलक रही थी।
सरला का चेहरा पीला पीला सा थका सा नज़र आ रहा था। वह मुश्किल से ही अपने कदम बढ़ा पा रही थी।
"चार लड़कियाँ है, एक लड़का हो जाए तो नसबन्दी करवा देंगे" सास दुःखी मन से बोली।
शायद उसे पता नहीं था कि उसकी चार लड़कियाँ हैं, लड़का नहीं है तो सरला का इसमें क्या दोष!

श्रवण निर्वाण - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)

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