प्रीति त्रिपाठी - नई दिल्ली
कभी नहीं मैं हारूँगी - कविता - प्रीति त्रिपाठी
गुरुवार, जुलाई 15, 2021
कभी नहीं मैं हारूँगी माँ,
मैं तेरी ही बेटी हूँ।
चाहे मन उद्वेलित हो
या जीवन यह रसहीन रहे,
उड़ जाने को मन तरसे
या गति से अपने क्षीण रहे,
नया सवेरा आएगा
ये जपती हूँ, फिर लेटी हूँ।
कभी नहीं मैं हारूँगी माँ,
मैं तेरी ही बेटी हूँ...
डोली से अंगनारों तक,
यादों के गलियारों तक,
तुमको याद किया मैंने,
तुमको रोज़ जिया मैंने,
कर्तव्यों को जाना है,
करती ना मैं हेठी हूँ।
कभी नहीं मैं हारूँगी माँ,
मैं तेरी ही बेटी हूँ...
पापा की कविताओं में,
भैया की आशाओं में,
रोटी और पकवानों में,
बच्चो के सामानों में,
जीती और उगा करती
मैं अरमानों की खेती हूँ।
कभी नहीं मैं हारूँगी माँ,
मैं तेरी ही बेटी हूँ।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर