बेटी - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी

लक्ष्मी अवतार बेटी, घर का संस्कार बेटी,
देश का सम्मान होती, दो दो वंश तारती।

शिक्षा की जोत जलाती, घर में रौनक लाती,
हुनर कौशल दिखा, घर को सँवारती।

माँ का अरमान बेटी, पिता का सम्मान बेटी,
वतन की बागडोर, कमान संभालती।

गुणों का विधान बेटी, हौसला उड़ान बेटी,
मात-पिता का मान है, गर्व करे शान से।

गुणों से कुल तारती, गृहस्थ रथ सारथी,
मंज़िलें बेटियाँ पाती, उन्मुक्त उड़ान से।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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