संदेश
ऐ बादल! - कविता - नूर फातिमा खातून 'नूरी'
तपती धरती पर तरस खाओ ना, ऐ बादल! अब तो बरस जाओ ना। सूख रहें हैं सारे खेत खलिहान, है भीषण गर्मी शाम चाहे बिहान। पशु-पक्षी प्यासे फड़फड़…
बारिश - कविता - शालिनी तिवारी
बिन मौसम ही आ पहुँची है, यह बारिश कितनी अच्छी है। मिट्टी की ख़ुशबू सौंधी सी, और हवा भी महकी-महकी है। दिन में ही चाँदनी खिल गई, तपती हुई…
मेघ - कविता - स्नेहा
बादल आते हैं चले जाते हैं... बिन बरसे फिर आते हैं आसमाँ पे छाते हैं चले जाते हैं... बिन बरसे आज निवेदन करती हूँ... ऐ मेघ! अबकी जो आए ह…
ए बदरी - भोजपुरी गीत - धीरेन्द्र पांचाल
सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी, ए बदरी। कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी। देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी। बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी।…
बदरिया - कविता - धीरेन्द्र पांचाल
चान छुपउले जाली कहवाँ, घुँघटा तनिक उठाव। बदरिया हमरो केने आव, बदरिया हमरो केने आव। झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे। तोहरे बिना…
काशी नगरी की पहली बारिश - कविता - नीलम गुप्ता
काशी नगरी की इस पहली बारिश ने मुझे अपने गाँव की बारिश की याद दिलाई। यूँ बादल का गरजना और बिजली का तड़कना मेरे मानस पटल पर सहसा ग्रामीण…
पहन लिए नए-नवेले कपड़े फिर से - कविता - अशोक बाबू माहौर
और ये पेड़ों की हरी भरी पत्तियाँ झूमने लगीं बाग बग़ीचे फूल अनेक रंग बिरंगे महक उठे भँवरे तितलियाँ मँडराने लगे, गाने लगीं हरित घास नए पु…
बारिश की भयावहता - कविता - मिथलेश वर्मा
बारिश की भयावहता उनसे पूछो, जब वर्षा जम के बरसती है। घासों के छप्पर से बूँदें, टप-टप कर टपकती है। बारिश उतनी भी सुंदर नहीं होती, जितनी…
मैं आकाश बन जाऊँ - कविता - असीम चक्रवर्ती
जब मैं आकाश बनना चाहता हूँ, बन भी जाऊँ तो तुम मेघ बनकर मेरे छाती पर लोटपोट करना, तुम्हें धरती पर हरियाली दिखेगी, सभी मौसम बदलने का…
बूँदें बारिश की - कविता - अशोक बाबू माहौर
बूँदें बारिश की नन्हीं गोलमटोल चंचल सी गिरती पत्तियों पर जैसे जगा रही हो थपथपाती सोए पेड़ को और ख़ुद लुढ़ककर ज़मीन पर पसर जाती यूँ…
सावन पर भी यौवन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
छमछम छमछम नाची है बरखा, झम झम बरसे रे पानी। देखो मिलन की रुत आई है, लिखने को प्रेम कहानी। मधुबन भी है मदहोशी में डूबा, नाचे है मोर दीव…
बरसात और बादल - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
निरंतर बादल नील गगन में, आज़ाद घूमता शोर मचाता। कभी रुके तो कभी चले, यह अलग अलग है रंग दिखाता।। सुबह तो लगता बिल्कुल नीला, दिन में लगत…
झूमा बादल नाची मोर - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
मेंढ़क और गिलहरी नाचें, गौरैया गीत सुनाए। चहुँदिश हरियाली चमक रही, कोयल गाना गाए।। कौआ झूम कर नाच रहा, मछली जल में करत किलोर। झूमा बा…
सावन सुहाना आया - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
सावन सुहाना आया, आई रुत सुहानी रे, बरसो बरसो मेघा, बरसाओ पानी रे। बदरा गगन छाए, काले काले मेघा आए, मोर पपीहा कोयल, झूमे नाचे गाए रे। र…
मानसून - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
छाया नभ घनघोर घन, दग्ध धरा बिन आप। मानसून आग़ाज़ लखि, मिटे कृषक अभिशाप।। मानसून की ताक में, आशान्वित निशि रैन। उमड़ रही काली घटा, कृषक…
सावन - कविता - सीमा वर्णिका
नीलाम्बर में श्यामल घटा छाई, सावन की पहली बौछार आई। जून की गर्मी से तपी धरती ने, शुष्क उष्ण उर में शीतलता पाई। इंद्रधनुष से हुआ सतरंगी…
मेरा सावन सूखा सूखा - गीत - अभिनव मिश्र "अदम्य"
विरह व्यथा की विकल रागिनी, बजती अब अंतर्मन में। कितनी आस लगा बैठे थे, हम उससे इस सावन में। बरस रहे हैं मेघा काले फिर भी मेरा मन मरुथल,…
सावन आया - कविता - राजकुमार बृजवासी
सावन आया सावन आया बैरागी मन झूमे गाए, पपीहे ने शोर मचाया सावन आया सावन आया। गरज रहे बादल अंबर में बिजली चम चम चमक रही, देखो छाए बदरा घ…
बरस बरस मेघ राजा - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
मेघ राजा बेगो आजा, बरस झड़ी लगा जा। सावन सुहानो आयो, हरियाली छाई रे। अंबर बदरा छाए, उमड़ घुमड़ आए। झूल रही गोरी झूला, बाग़ा मस्ती छाई…
साजन विरह नैन मैं भी बरसूँ - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
इन बारिस की बूँदों में भिगूँ, तन मन प्रीति हृदय गुलज़ार बनूँ। पलकों में छिपा मृगनैन नशा प्रिय, मुस्कान चपल अधर इज़हार करूँ। दूज चन्…