सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी, ए बदरी।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।
बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी।
कहा काहें होत बाटे राम मनमानी।
गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह खपरी, ए बदरी।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।
संझवा बिहनवा में कमवा न सपरी।
होते दुपहरिया भुजाई जालीं मछरी।
नदिया में अगिया लगाई देलु जबरी, ए बदरी।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।
करकेला मनवा मसकी जाला देहियाँ।
रोवलो न जाला की मसान भइल अँखिया।
लोरवा बहाईं ना सहाई आँख कजरी, ए बदरी।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।
सियरा हथिनिया आ बघवा के बात बा।
तोहके बोलावे ला ई बनवा छोहात बा।
मेघवा बोलावें त अमांय जालु गगरी, ए बदरी।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।
बोला काहें भकुआय गइलू ए बदरी।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।
धीरेंद्र पांचाल - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)