सावन सुहाना आया - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी

सावन सुहाना आया, आई रुत सुहानी रे,
बरसो बरसो मेघा, बरसाओ पानी रे।

बदरा गगन छाए, काले काले मेघा आए,
मोर पपीहा कोयल, झूमे नाचे गाए रे।

रिमझिम रिमझिम, बरखा बहार आई,
मौसम सुहाना आया, हरियाली छाई रे।

मस्त चली पुरवाई, रुत ने ली अँगड़ाई,
तन मन ख़ुशियों की, उमंग जगाई रे।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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