सावन - कविता - सीमा वर्णिका

नीलाम्बर में श्यामल घटा छाई,
सावन की पहली बौछार आई।
जून की गर्मी से तपी धरती ने,
शुष्क उष्ण उर में शीतलता पाई।

इंद्रधनुष से हुआ सतरंगी गगन,
कजरी मल्हार गा रहे बान्धव जन।
प्रकृति ने बिखेरी मनभावन छटा,
टर्राते दादुर मोर करे नर्तन।

शिव शंकर की हो रही आराधना,
बहना का भाई को रक्षा बाँधना।
पर्व नाग पंचमी हरियाली तीज,
सोमवार व्रत से भाग्य को साधना।

बरखा से हुई जलमग्न वसुंधरा,
पल्लवित पेड़ पौधों से हरा भरा।
मनमोहक परिदृश्य से है सुशोभित,
कौन चितेरा यह अद्भुत चित्रण करा।

सीमा वर्णिका - कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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