सावन पर भी यौवन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

छमछम छमछम नाची है बरखा,
झम झम बरसे रे पानी।
देखो मिलन की रुत आई है,
लिखने को प्रेम कहानी।

मधुबन भी है मदहोशी में डूबा,
नाचे है मोर दीवाना।
पागल पपीहा पिऊ पिऊ बोले,
भौंरे ने छेड़ा तराना।

सावन पर भी यौवन है छाया,
गाती है गीत दीवानी।
छम छम छम छम नाची है बरखा,
झमझम बरसे रे पानी।
देखो मिलन की...

कुहू कुहू राग सुनाए कोयलिया,
याद सताए रे साजन की।
मन मोरा गीला तन मोरा भीगा,
भीगी चुनरिया दामन की।

मौसम नशीला है गीला गीला,
कलियों ने ओढ़ी जवानी।
छमछम छमछम नाची है बरखा,
झमझम बरसे रे पानी।
देखो मिलन की...

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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