बारिश - कविता - शालिनी तिवारी

बिन मौसम ही आ पहुँची है,
यह बारिश कितनी अच्छी है।
मिट्टी की ख़ुशबू सौंधी सी,
और हवा भी महकी-महकी है।
दिन में ही चाँदनी खिल गई,
तपती हुई ज़मीन हँस पड़ी है।
बेहद साफ़ दिल बड़ी सच्ची है,
यह बारिश कितनी अच्छी है।

शालिनी तिवारी - अहमदनगर (महाराष्ट्र)

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