संदेश
मासिक धर्म और समाज का नज़रिया - कविता - राजेश "बनारसी बाबू"
ये ऊपरी अँधेरी कोठरी से कैसी कहरने की आवाज़ आई है? ये कैसी चिल्लाहट और रोने की चीख़ दे रही सुनाई है? लगता है आज अपनी छोटी बिटिया को मास…
स्त्री चिंतन - कविता - डॉ. मोहन लाल अरोड़ा
स्त्री का अस्तित्व है महान, माँ बनना भी है सम्मान, सब जगत पर है अहसान। कब हटेंगे यह इश्तहार बड़े अस्पतालों से, यहाँ लिंग परीक्षण नहीं …
हिन्द चरित्र निर्माण - कविता - ममता रानी सिन्हा
हे भारत की पुत्रियों अब तुम जागो, जय हिन्द का चरित्र निर्माण करो। स्वंय की आत्मशक्ति को जागृत करो, और तुम लक्ष्मीबाई का आह्वान करो। हे…
अक्सर - कविता - ऋचा तिवारी
वो कहते हैं अक्सर, "औरत होने का फ़ायदा उठाती हूँ मैं", पर कभी औरत होने का नुक़सान, क्या देखा है तुमने! मौक़ा पाते ही, छेड़ने म…
नारी - कविता - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"
शिव शक्ति का रूप है नारी, सहनशक्ति की परिभाषा है नारी, प्रेम की मूरत है नारी। घर को स्वर्ग बनाती, रिश्तों में मिठास लाती, ख़ुशियों से घ…
मर्यादा - कविता - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
मर्यादा सिर्फ़ नारी के लिए, चौखट सिर्फ़ नारी के लिए, निभा जाए तो है सुलक्षणा, लाँघ जाए तो है कुलक्षणा। नहीं ख़ुद से ख़ुद का परिचय, कोई निर…
नारी - गीत - डॉ. देवेन्द्र शर्मा
भोले भगवन के मन में एक आया पूत विचार, उन ने रची एक सुंदर रचना सृष्टि का शृंगार। भेंट कर दिया मानवता को सुंदर वह उपहार, भरकर उसमें …
नारियाँ - कविता - ममता रानी सिन्हा
हम नारियाँ सदा बहुत मज़बूत होती हैं, जग के लिए सदा प्रथमा बुद्ध होती हैं, सृष्टि संचालन निमित्त मूलाभूत होती हैं, हाँ! सचमुच हम बहुत मज़…
औरत - कविता - स्मृति चौधरी
संवेदना और सादगी से निर्ध्वनि के शब्दों को बुनती, यथार्थ और परिकल्पना को कैनवस पर उकेरती, इच्छा और विश्वास के मध्य अस्तित्व को संजोती,…
पति-पत्नी संवाद - एकांकी - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
पति:- माँ की तबियत ख़राब है आज तुम छुट्टी लेलो। पत्नी:- नहीं मेरी कई छुट्टियाँ हो चुकी हैं। इस बार छुट्टी तुम लेलो। पति:- मै छुट्टी कै…
मैं नारी हूँ - कविता - गुड़िया सिंह
अपने हाथों, अपने सपनो का गला घोंटा, अपना सम्पूर्ण जीवन, मैंने औरो को सौंपा। मैं नारी हूँ। बंधे है पाँव मेरे समाज के खोखले धरणाओं की ज़ं…
नारी शक्ति: आदिशक्ति - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आदिशक्ति जगत जननी का इस धरा पर जीवित स्वरूप हैं हमारी माँ, बहन, बेटियाँ हमारी नारी शक्तियाँ। जन्म से मृत्यु तक किसी न किसी रुप में हम…
हे नारी शक्ति स्वरूपा - कविता - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
हे नारी शक्ति स्वरूपा हो मत भूलो अपनी ताकत को, निराला की पत्थर तोड़ती तुम मत भूलो उस पत्थर को। पाषाण सा सिर तो नहीं उस हवसी अत्याचारी …
नारी तू महान है - कविता - गुड़िया सिंह
तू वन्दनीय, तू पूजनीय, तू ही जगत की सार है, तुझसे है संचलित यह सृष्टि, "ऐ नारी" तू महान है। तू लक्ष्मी, तू सरस्वती, तू शक्ति…
औरत - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
मैं हमेशा औरों में ही रत हूँ, हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ। मैं हमेशा प्यार वात्सल्य एवं ममता लुटाती हूँ। हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ।। मैं बेटी …
नारी तुम महान हो - कविता - विनय विश्वा
धारणी धरा प्रकृति यौवन, तुम वात्सल्य की पारावार हो। नारी तुम महान हो।। कभी गृहणी कभी कर्मस्वरुपा, नये नये तेरे रूप अनूपा, कभी तनुजा कभ…
नारी प्रेम की परिभाषा है - कविता - महेन्द्र सिंह राज
नारी प्रेम की परिभाषा है आँचल में उसके दूध भरा, जिसके प्रेम की पावन वृष्टि से घर का हर कोना है हरा भरा। नारी सृष्टि की आदि शक्ति है…
नारी गंगाजल सी धारा है - कविता - आलोक रंजन इंदौरवी
नारी है माँ बेटी बहना, नारी ही है जग का गहना। नारी से यह संसार रहे, अद्भुत है नारी की महिमा। यह सृष्टि नवेली रचती है, चाहे दुःख कितना …
नारी-रक्षा के सही मायने - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
एक बात बतलाओ मुझको नरता के संवाहक। रक्षा करने में नारी के लगे हुए हो नाहक। फिर भी नारी नहीं सुरक्षित घर हो या हो बाहर। एक बार बस बंध छ…
नारी - कविता - सुनीता मुखर्जी
आधारहीन थी तू नारी न कुछ पहचान, तुम्हारी थी, पढ़-लिख कर तूने बदल दिया जिन बेड़ियों में, तू जकड़ी थी। घूँघट के भीतर की सिसकियां न किसी…