नारी गंगाजल सी धारा है - कविता - आलोक रंजन इंदौरवी

नारी है माँ बेटी बहना,
नारी ही है जग का गहना।
नारी से यह संसार रहे,
अद्भुत है नारी की महिमा।

यह सृष्टि नवेली रचती है,
चाहे दुःख कितना सहती है।
धरती सी धैर्य प्रतिष्ठा है,
सबके जीवन की दीक्षा है।

नारी के आचरण में सारा,
संसार समाया रहता है।
इसकी क्षमता का छोर नहीं,
हर शास्त्र हि गाया करता है।

नारी से जीवन चलता है,
नारी से मधुबन खिलता है।
नारी से महके घर अपना,
नारी से हर सुख मिलता है।

नारी का हम गुणगान करें,
सच्चे दिल से सम्मान करें।
जीवन की आपाधापी में,
बातें आदान प्रदान करें।

यह जीवन पथ प्रेरित करती,
उत्साह सदा भरती रहती।
पत्नी प्रेमिका रूप में यह,
बनकर सुगंध महकी रहती।

उत्तरदायित्व हमारा है,
नारी ने हमे संवारा है।
इसके मन भावों को समझें,
यह गंगाजल सी धारा है।

आलोक रंजन इंदौरवी - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos