संदेश
हे हिन्द की धरोहर! - कविता - राघवेंद्र सिंह | पण्डित जवाहरलाल नेहरू पर कविता
हे रत्न! भूमि भारत, हे हिन्द की धरोहर! हे हिन्द स्वप्नदृष्टा! हे हिन्द के जवाहर! सच्चे सपूत तुम थे, इस हिन्द वाटिका के। तुम ही यहाँ थे…
हम नहीं है कम - कविता - सुरेन्द्र सिंह भाटी
1. पड़ी जब इतिहास में तलवार उठाने की ज़रूरत तो हमने उठाई, क्रिकेट मैच के संकट में बल्ला उठाके बाजी भी हमने जिताई। आसमाँ से लेकर चाँद को…
हमारे राष्ट्रपिता - कविता - गणपत लाल उदय
महात्मा गाँधी कहलाएँ राष्ट्रपिता हमारे, आत्मशुद्धि शाकाहारी प्रेरणा देने वाले। सादा जीवन व उच्च विचार रखने वाले, भारत देश को स्वतंत्रत…
जय गाँधी शास्त्री नमन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
सत्य त्याग शालीनता, कर्म धर्म समुदार। गाँधी शास्त्री युगल वे, स्वच्छ न्याय आधार॥ मार्ग अहिंसा विजय का, जीवन उच्च विचार। जीया जीवन स…
भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
सादा जीवन उच्च विचार वाले शास्त्री जी को था सादगी से प्यार, द्वितीय प्रधानमंत्री बन भारत को सिखलाया जिसने सदाचार। गांधीवादी विचार धारा…
दो स्वातंत्र्य समर योद्धा - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री पर कविता
नोवाखाली की गलियों में जो घूमा था वह गांधी है। अंग्रेजों को भगा दिया जो सत्याग्रह से वह गांधी है। सत पथ चला 'अंशुमाली' जो प्रा…
शहीद-ए-आज़म: सरदार भगत सिंह - कविता - आर॰ सी॰ यादव
सिंह गर्जना थी तुम में, साहस अदम्य, बल पौरुष था। माँ भारती के अमर पुत्र, बुद्धि विवेक अपर बल था॥ श्रेष्ठ विचारक, लेखक, चिंतक, वक्ता प्…
धरा का गीत - कविता - मेघना वीरवाल
बसा है धरती के कण कण में प्रेम दया और स्वाभिमान, कहने को महज़ शब्द ही यहाँ मिलेंगे अतरंगी विधि विधान। नित नया भाव जगाती करके सूरज का गु…
मेरे देश की मिट्टी - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मेरे देश की मिट्टी नाज़ हमें, जन्नत धरती की शान सजें। परमवीर जाँबाज़ों शहीद, आज़ाद वतन मदमाते हैं। यह कर्मपथिक है ज्ञानवीर, विज्ञा…
तिरंगा - कविता - स्वाति कुमारी
घर-घर में तिरंगा हो, छत-छत पे तिरंगा हो, मंदिर भी नहीं छूटे, मस्जिद पे तिरंगा हो। मन में तिरंगा हो, तन पे भी तिरंगा हो, मज़हब से दूर हो…
त्याग भूमि की जय हो - कविता - ईशांत त्रिपाठी
अगणित वर्णित पठित कथानक, भरतखंड का शौर्य सनातन। भारती गरिमा अणिमा प्रकाशक, आप्त व्याप्त अपावृत व्यापक। संयम सत्य स्नेह पराक्रम, साहस श…
आज़ादी का अमृत महोत्सव - कविता - डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी
आओ सब मिल कर मनाएँ उत्सव, आज़ादी का अमृत महोत्सव। साल पचहत्तर बीते हैं अभी तक, नाम भारत का गूँज रहा जल थल नभ तक। उड़ान जो भरी है अब नह…
ध्वज हर घर में फहराता है - गीत - उमेश यादव
तीन रंग में रंगा तिरंगा, ध्वज हर घर फहराता है। शौर्य शांति और प्रगति से, सबका मान बढ़ाता है॥ हरा स्वेत केसरिया रंग का, ध्वजा हमारी शा…
आज़ादी का अमृत महोत्सव - कविता - बृज उमराव
बीत चुके हैं वर्ष पचहत्तर, बेड़ी कटी ग़ुलामी की। वर्ष गाँठ हम सभी मनाएँ, वतन की इस आज़ादी की॥ अनगिनत शहीदों को श्रद्धांजलि, अर्पित देश य…
आज़ादी का पर्व - दोहा छंद - द्रौपदी साहू
वीरों के संघर्ष से, मुक्त हुआ जब देश। लहर उठी आनंद की, दूर हुआ सब क्लेश॥ आज़ादी का पर्व है, करते सब सम्मान। मन में भर उत्साह से, गाते ह…
आज़ादी की आँधी महात्मा गाँधी - कविता - मदन सिंह फनियाल
ढाल-तलवार को छुआ नहीं, विजय पताका फहरा दी। सुलगा के चिंगारी आज़ादी की आग दिलों में लगा दी।। त्याग कर पथ हिंसा का, जोत अहिंसा का जगा दी।…
ये आज़ादी का अमृत महोत्सव - कविता - गणपत लाल उदय
ये आज़ादी का अमृत महोत्सव सबको मनाना है, जान से प्यारा यह तिरंगा हम सबको फहराना है। उनके पदचिन्हों पर आज हम सभी को चलना है, वीर-सैनान…
लिख दे कलम ओ प्यारी - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिस राह वो चली थी, भारत की नौजवानी। लिख दे कलम ओ प्यारी, मेरे देश की कहानी। जिस राह वो चले थे, आज़ाद चंद्रशेखर। उस राह सब चले हैं, हाथ…
आज़ादी का अमृत महोत्सव - कविता - स्नेहा
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर भारत देश उत्सव मना रहा, आज़ादी के वीरों की फिर से याद दिला रहा, जन-जन के मन में देश प्रेम के दीप जला रहा। नमन…
आज़ादी महोत्सव - दोहा छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
आज़ादी के दीप का, घर-घर हो उजियार। कर अभिनंदन देश का, लगा तिरंगा द्वार।। नेक-नेक सोचों सभी, करो देश हित नेक। आज़ादी के जश्न का, सभी करो …