आज़ादी की आँधी महात्मा गाँधी - कविता - मदन सिंह फनियाल

ढाल-तलवार को छुआ नहीं,
विजय पताका फहरा दी।
सुलगा के चिंगारी आज़ादी की
आग दिलों में लगा दी।।

त्याग कर पथ हिंसा का,
जोत अहिंसा का जगा दी।
छीना हक़ सादगी से अपना,
नींव स्वतंत्रता की जमा दी।।

डगमगा रही थी भारत की कश्ती,
ग़ुलामी की मझधार में।
बजा कर डंका आज़ादी का तुमने,
लहराया तिरंगा संसार में ।।

महफ़ूज़ हैं हम तुम्हारे त्याग से,
आज तिरंगे की छाँव में।
कर दिया तुमने जीवन न्यौछावर,
देश भक्ति और प्रेम-भाव में।।

बंधा हुआ था मुल्क हमारा,
पराधीनता की बेड़ियों पर।
बढा के क़दम प्रथम चले तुम,
स्वाधीनता की सीढ़ियों पर।।

भारत माँ को नोच रहे थे,
वो फिरंगी सौदागर।
दर्द-ओ-ज़ुल्मों को बेच रहे थे,
वो अंग्रेज़ी बाज़ीगर।।

द्रवित हो गई थी भारत भूमि,
अत्याचारों को सह-सह कर।
कूद पड़े थे बापू जी रण में,
आज़ादी की मसाल जलाकर।।

अपार वीरता भर दी दिलों में,
आज़ादी का बिगुल बजाकर।
क़ुर्बान हो गए देशभक्ति पर,
सुभाष, भगत और चंद्र शेखर।।

पराधीनता की ज़ंजीरें तोड़ी,
किया उदय स्वाधीन दिवाकर।
सत्य, अहिंसा के थे पुजारी,
प्रेम-भाव के रत्नाकर।।

देकर क़ुर्बानी अपने जीवन की,
मुल्क ये तुमने आज़ाद किया।
किया अंत अंग्रेज़ी हुकूमत का,
नए युग का आग़ाज़ किया।।

जगा कर अलख स्वतंत्रता का,
ग़ुलामी का सत्यानास किया।
भारत-भूमि के नक़्शे पर तुमने,
खुला आज़ाद आकाश दिया।।

भेद-भाव मिटाए तुमने,
राम-धुन गा-गा कर।
अंत किया अंग्रेजी शासन का,
अमन आज़ादी लाकर।।

शत-शत नमन करूँ मैं तुमको,
श्रद्धा सुमन चढ़ा कर।
युग पुरुष कहलाते हो तुम,
नव-भारत के प्राणधर।।

इतिहास प्रथम रचाया तुमने,
तिरंगा चमन में फहराकर।
नमन करता है मदन तुमको,
नित-नित मस्तक झुका कर।।

मदन सिंह फनियाल - चमोली (उत्तराखंड)

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