दो स्वातंत्र्य समर योद्धा - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री पर कविता

नोवाखाली की गलियों में जो घूमा था वह गांधी है।
अंग्रेजों को भगा दिया जो सत्याग्रह से वह गांधी है।
सत पथ चला 'अंशुमाली' जो प्राणों की वलि देकर–
भारत माँ की काट बेड़ियाँ अमर कर गया वह गांधी है।

लाल बहादुर शास्त्री जी को जन मन का अभिनंदन।
इस अदम्य साहस को मेरा कोटि कोटिश: वंदन।
शोर्य दिखा कर पाक भूमि में ताशकंद से विदा हो गए–
'अंशु' कर रहा तुम्हें समर्पित अक्षत अगर पुहुप चंदन।

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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