भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'

सादा जीवन उच्च विचार वाले शास्त्री जी को था सादगी से प्यार,
द्वितीय प्रधानमंत्री बन भारत को सिखलाया जिसने सदाचार।
गांधीवादी विचार धारा संग जिसने सदा अपनाया शिष्टाचार,
निष्ठावान व्यक्तित्व और सच्चाई का करते थे सबसे व्यवहार।
किसानों के लिए बन अन्नदाता किया सदैव उनका उद्धार।
"जय जवान जय किसान" के नारे को भारतीयों ने दिया स्नेह अपार।
कश्मीर घाटी को दुश्मनों से बचा दिया दिया हमें प्यारा उपहार।
लाहौर में सेंध लगा पाकिस्तान को हटाने का सपना किया साकार।
पाक षड्यंत्र के इरादों पर भी किया उन्होंने वज्र प्रहार।
ताशकंद में शान्ति समझौते के सपने को कर दिया था साकार।
भारतीय फ़ौज ने भी विजय पताका फहरा जताया था प्यार।
भारत के सम्मान को बड़ा संपूर्ण विश्व से पाया था स्नेह अपार।
2 अक्टूबर को ले जन्म भारत माँ को किया धन्य और पाया दुलार।
ऐसे लाल के जन्म ने भारत भू को किया सार्थक और दिया प्यार।
सामान्य से शीर्ष तक जो बढ़ते चले कर विपदाओं को पार।
ताशकंद की काली अँधेरी रात में फिर छोड़ दिया यह संसार।
क़ुर्बानी तुम्हारी न जाएगी व्यर्थ भाव भरा है मन में अपार।
ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को आज हम करे नमन बारंबार।

डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा' - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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