ये आज़ादी का अमृत महोत्सव - कविता - गणपत लाल उदय

ये आज़ादी का अमृत महोत्सव सबको मनाना है,
जान से प्यारा यह तिरंगा हम सबको फहराना है।
उनके पदचिन्हों पर आज हम सभी को चलना है, 
वीर-सैनानियों को ‌याद करके तिरंगा लहराना है।।

ग़ुलामी के दल-दल से हम इस दिन ही निकलें है,
खाएँ कई गोलियाँ सैनिक देश आज़ाद कराएँ है।
आन-बान और शान समझकर क़ुर्बानी वे दिएँ है,
किए इश्क़ वतन से ऐसा घर परिवार भूल गएँ है।।

उन लालो को आज सच्ची श्रद्धांजलि भी देना है,
चलतें जाना बढ़ते जाना तिरंगा संभाले रखना है।
इसी दिन मिली आज़ादी वन्दे मातरम को गाना है,
जय जवान बोलकर सब अपना फ़र्ज़ निभाना है।।

हम-सब भारतवासियों का ये तिरंगा अभिमान है,
सारे विश्व में इस ध्वज की ख़ास ऐसी पहचान है।
आज मनाकर अमृत-महोत्सव कर रहें सम्मान है,
दुनियाँ को है यह दिखलाना भारत देश महान है।।

रंग केसरिया शीर्ष में है जो वीरता शौर्य प्रतीक है,
मध्य सफ़ेद है जो शांति व सत्यता का प्रतीक है।
चक्र सुदर्शन बीच में आगे बढ़ते रहें यह कहता है,
रंग तृतीय नीचे है समृद्धि हरयाली का प्रतीक है।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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