राघवेन्द्र सिंह - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
लिख दे कलम ओ प्यारी - कविता - राघवेंद्र सिंह
सोमवार, अगस्त 15, 2022
जिस राह वो चली थी,
भारत की नौजवानी।
लिख दे कलम ओ प्यारी,
मेरे देश की कहानी।
जिस राह वो चले थे,
आज़ाद चंद्रशेखर।
उस राह सब चले हैं,
हाथों में हाथ लेकर।
तू ही परख ले इनको,
इनमें लहू या पानी।
लिख दे कलम ओ प्यारी,
मेरे देश की कहानी।
जिस राह वो जली थीं,
वीरों की वो चिताएँ।
करने नमन चली हैं,
भारत की सब दिशाएँ।
उस राह पर ही चलकर,
बन जा तू स्वाभिमानी।
लिख दे कलम ओ प्यारी,
मेरे देश की कहानी।
जिस राह वो चले थे,
हाथों में ले तिरंगा।
उनके चरण को धोने,
हम ले चलें हैं गंगा।
तू तीन रंग लिख दे,
और बोल जय भवानी।
लिख दे कलम ओ प्यारी,
मेरे देश की कहानी।
जिस राह वो दिखा था,
आज़ाद हिंद भारत।
उच्छल जलधि तरंगा,
प्राणों से प्यारा भारत।
सदियों जो गाईं जाएँ,
तू ऐसी लिख रवानी।
लिख दे कलम ओ प्यारी,
मेरे देश की कहानी।
जिस राह वो जला था,
बन वीर एक पतंगा।
उसको मिला ही हरदम,
वो ही कफ़न तिरंगा।
तू उस कफ़न पे कर दे,
क़ुर्बान-ए-ज़िंदगानी।
लिख दे कलम ओ प्यारी,
मेरे देश की कहानी।
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