संदेश
प्रेम मिलन परिणीत हिय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुबन्धन मधुमास प्रिय, कहाँ छिपे चितचोर। बासन्ती मधुरागमन, प्रेम नृत्य प्रिय मोर॥ कोमल प्रिय ललिता लता, मैं कुसुमित नवप्रीत। नव वसन…
ईर्ष्या-निन्दा त्याग दो - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
ईर्ष्या-निन्दा त्याग दो, कबहुं न राखो पास। निन्दा से प्रभुता घटै, ईष्या उपजै रास॥ ईर्ष्या उपजै रास, अरे! निन्दा से दूरी। दोनों मन के द…
भाई बिन सूनो जगत् - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
भाई बिन सूनो जगत्, जस पादप बिन पात। हृदय सिन्धु में धड़कता, वही सहोदर भ्रात॥ वही सहोदर भ्रात, बने जीवन की धारा। जब संकट की मार, समर्पि…
शबरी के मन मध्य भक्ति दीप जलता है - सवैया छंद - देवेश बाजपेयी
शबरी के मन मध्य भक्ति दीप जलता है, जिससे प्रकाश टेर-टेर बीन लाती है। काल को चुनौती वह देती गुरु आज्ञा पाए, घोर अंधकार में सबेर बीन लात…
सादगी - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
सत्य शील सादगी हो, ईश्वर की बंदगी हो। आचरण प्रेम भर, सरिता बहाइए। संयम संस्कार मिले, स्नेह संग सदाचार। शालीनता जीवन में, सदा अपना…
माँ तो इक संसार है - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | माँ पर दोहे
माँ तो इक संसार है, ममतांचल उद्गार। प्रेम दया करुणा क्षमा, परमधाम सुखसार॥ आज अकेला हूँ पड़ा, माँ ममता बिन शुन्य। छाँव कहाँ स्नेहिल हृद…
प्रीति के रंग - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
भीनी-भीनी सुगंध लेकर, आयी पुरवा द्वार। तन मन भीगे-भीगे दिखते, दिलों प्रेम संचार॥ अंगन-अंगन हलचल दिखती, प्यार-मुहब्बत साथ। प्रेम-प्यार …
मन में रही नहीं - घनाक्षरी छंद - अभिषेक बाजपेयी
सत्य से जुड़ा सदैव ही रहा हूँ जीवन में, झूठ की कुसंग बचपन से रही नहीं। अधिकार छीनते जो उनसे लड़ा हूँ किंतु, धर्म के विरुद्ध शक्ति त…
प्रेम की भाषा - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
अंतः से बोलो, मधु रस घोलो, प्रेम सरल हो,धाम करें। ममता की भाषा, सबकी आशा, पशु भी समझे, काम करें॥ परखते हैं खरा, समझो न ज़रा, प्यार तो त…
कर्म लिखई बिन कागज हीे - सवैया छंद - देवेश बाजपेयी
कर्म लिखई बिन कागज ही, इक तोरी चलई न कोई होशियारी। साक्ष्य बने बिन आनन ही, चाहें लाख करो जिन बात हमारी॥ गणना करे बिन गणना ही, जैसे सूर…
बेटियाँ मन की सच्ची - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
गीता के संरक्षकों, बन बनिए जयचंद। कर बेटी के चमन में, दख़लंदाज़ी बंद॥ दख़लंदाज़ी बंद, बेटियाँ मन की सच्ची। शुरुआती है दौर, अभी भी लगती बच्…
ख़ुशियों के दीपक जले - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | दीवाली पर दोहे
ख़ुशियों के दीपक जले, जग मग जगमग लोक। मिटे तिमिर अज्ञान का, रोग मोह मद शोक॥ ख़ुशियों के दीपक जले, बाल अधर मुस्कान। घर आँगन सब स्वच्छ …
धनतेरस - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
धन की देवी लक्ष्मी, सुख समृद्धि भंडार। यश कीर्ति वैभव दे, महालक्ष्मी ध्याइए। नागर पान ले करें, धूप दीप से पूजन। दीप जला आरती हो, र…
जय गाँधी शास्त्री नमन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
सत्य त्याग शालीनता, कर्म धर्म समुदार। गाँधी शास्त्री युगल वे, स्वच्छ न्याय आधार॥ मार्ग अहिंसा विजय का, जीवन उच्च विचार। जीया जीवन स…
नवरात्रि - कुण्डलिया छंद - सुशील कुमार
माता दुर्गा का लगे, तीजा रूप महान। अर्धचंद्र है भाल पर, चंद्रघंटा सुजान॥ चंद्रघंटा सुजान, भुजा दस सोहे माँ के। मिट जाते सब पाप, करे दर…
हिंदी भाषा - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
हिन्दी भाषा जानो! हिन्द जो है मेरा अभिमान, मातृभू की वंदनीय, भाषा सुखदायी है। सरल सहज तान, स्वर लय माला गीत, पहचान हमारी जो, हिन्दी…
कान्हा कृष्ण मुरारी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अभिनंदन कान्हा जनम, विष्णु रूप अवतार। बालरूप लीला मधुर, शान्ति प्रेम रसधार॥ नंदलाल श्री कृष्ण भज, वासुदेव घनश्याम। कर्मवीर पथ सारथी…
आराधन श्री कृष्ण का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हे! अर्जुन के सारथी, हे! गिरिधर गोपाल। नंदलाल यशुमति लला, राधा प्रीत निहाल॥ कृष्ण लाल प्रिय राधिका, प्रथम प्रीत मनमीत। युवा वयसि सख…
वृक्ष महिमा - दोहा छंद - हनुमान प्रसाद वैष्णव 'अनाड़ी'
धरती को दुख दे रहे, धूल,धुआ अरु शोर। इनसे लड़ना हो सुलभ, वृक्ष लगे चहु ओर॥ विटप औषधी दे रहे, रोके रेगिस्तान। तरुवर मीत वसुन्धरा, कलियुग…
आज़ादी का पर्व - दोहा छंद - द्रौपदी साहू
वीरों के संघर्ष से, मुक्त हुआ जब देश। लहर उठी आनंद की, दूर हुआ सब क्लेश॥ आज़ादी का पर्व है, करते सब सम्मान। मन में भर उत्साह से, गाते ह…