धनतेरस - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी

धन की देवी लक्ष्मी, 
सुख समृद्धि भंडार।
यश कीर्ति वैभव दे,
महालक्ष्मी ध्याइए। 

नागर पान ले करें,
धूप दीप से पूजन। 
दीप जला आरती हो, 
रमा गुण गाइए।

रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ, 
सब सद्गुण की दाता। 
ख़ुशियाँ बरसे घर, 
दीपक जलाइए। 

रोली मोली अक्षत ले, 
पूजन थाल सजाएँ।
मन वचन कर्म से, 
प्रसून चढ़ाइए।

रमाकान्त सोनी 'सुदर्शन' - झुंझुनू (राजस्थान)

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