संदेश
बचपन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
है याद आती, वह बातें पुरानी, वही प्यारा क़िस्सा, वह बीती कहानी। याद आता वह तेरा मुस्काता चेहरा, थी होती लड़ाई, पर था प्रेम गहरा। जब भी …
नहीं चाहता आसाँ हो जीवन - कविता - मयंक द्विवेदी
चाहे सौभाग्य स्वयं हो द्वार खडे, चाहे कर्ता भी हो भूल पड़े, नहीं चाहता आसाँ हो जीवन, चाहे मग में हो शूल गढ़े। जो पत्थर होऊँ तो नींव मिल…
बाँध ना पाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
व्यर्थ हुए सावन ने कहा― क्या कोई सम्भाल ना पाया, बहते-बहते पानी को, मुट्ठी में पकड़ ना पाया। यहाँ पुल तिनके से टूट गए, बाँध भी नदी, बा…
ख़ुद की तलाश - कविता - सतीश पंत
मेरे कमरे की खिड़की से आती रोशनी की किरण प्रायः पूछती है मुझसे कि क्या कर रहा हूँ मैं पहरों बैठकर चुपचाप एकांत में कभी निहारते घर की छ…
युद्ध का औचित्य - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब भ्रम ही सच्चा लगता हो, तब सत के पथ पर कौन चले। जब द्वार खड़े हों वायुयान, घोड़ों के रथ पर कौन चले॥ तिलमिला उठे जब बर्बरता, कुलबुला …
वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित'
जोर-जोर से चिल्ला कर अपनी बात मत कहो! क्योंकि छिछले लोग ध्यान देगें गहरे विचारक नहीं, गहन विचार केवल चिंतन-मनन से आती है गहरे विचारक …
यह दीपक है इसे जलना ही चाहिए - कविता - उमेन्द्र निराला
देख बुराई अपने अंदर इसे मरना ही चाहिए, जीवन में फैला अँधेरा मिटना ही चाहिए, यह दीपक है इसे जलना ही चाहिए। लगी विचारों मे वर्षो की दीमक…
पथ सहज नहीं रणधीर - कविता - श्रवण सिंह अहिरवार
अपनी जीत पर अधिक उल्लास ना कर, मंज़िल अभी आगे है यह नज़र-अंदाज़ न कर, कर्तव्य पथ में बिखरे हैं शूल अनंत यह ध्यान धर, पथ सहज नहीं रणधीर ये…
बचपन के दिन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कितने सुंदर, बेमिसाल थे, छुटपन के दिन बचपन के दिन, रह ना पाते सखियों के बिन। रह ना पाते सखियों के बिन। खेलकूद थे मस्ती थी, काग़ज़ वाली क…
जो सहज सुलभ हो - कविता - मयंक द्विवेदी
जो सहज सुलभ हो अमृत तो तुच्छ अमृत का क्यूँ पान करूँ इससे अच्छा तो विष पीकर विष का ही गुणगान करूँ कूल सिंधु के बैठे-बैठे क्यों मौजों का…
ऋतुराज बसंत - कविता - गणेश भारद्वाज
पहन बसंती चोला देखो, अब शील धरा सकुचाई है। कू-कू करती कोयल रानी, लो सबके मन को भाई है। हरयाली है वन-उपवन में, कण-कण में सौरभ बिखरा है।…
मेरी कविताएँ - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है मैंने जब जब उनको पुकारा है वह साथ देती है मेरा हर वक्त फैलाती दिल में उजियारा है मेरी कविताएँ मेरा सहारा है…
शिव का सार - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
गहन क्लेश में सुख का आगार योग से प्राप्य शिव का सार। बृहद क्षेत्र में व्यापक आकाश सर, कल्प दिए सरलता से संवत्सर। निरंजन अरूप यद्यपि सर…
परीक्षा - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
आने से जिसके चढ़े बुख़ार, जाने से ख़ुशी का बढ़े ख़ुमार। होती दुखदायी है, जीवन में परीक्षा। ज़िंदगी में होना अगर तो, मिले न प्रगति का ज्…
सब एक जैसी नहीं होती - कविता - संजय राजभर 'समित'
एक तरफ़ समर्पण था निष्कलंक, निष्छल असीम प्रेम था पर मेरे दिमाग़ में एक वहम थी एक बस छूटेगी तो दूसरी मिलेगी फिर कली-कली मॅंडराता हुआ बहु…
उपमान कहाँ से लाऊँ मैं - कविता - राघवेंद्र सिंह
विच्छिन्ति! सुनो ऐ कवि मन की, किस विधि से तुझे सजाऊँ मैं। इस सकल सृष्टि में नव-निर्मित, उपमान कहाँ से लाऊँ मैं। है चंद्र पूर्णिमा का…
ऋतुराज - कविता - राजेश 'राज'
दहक रहीं डालें पलाश की, झूमीं शाखाएँ अमलतास की। मंजरियों से पल्लवित आम हैं, कोयल कितनी स्फूर्तिवान है। ओढ़े सरसों पीली चुनरी, फूली-फूल…
मैं जगत का दास हूँ - कविता - इन्द्र प्रसाद
जग मुझे कुछ भी कहे, पर मैं जगत का दास हूँ। दोष तारों सा लिए जो, मैं वही आकाश हूँ॥ मन उसी में रम रहा जो वास्तव में है नहीं, उस तरफ़ जाता…
आशंका - कविता - प्रवीन 'पथिक'
एक घना अँधेरा! मेरी तरफ़ आता है मुँह बाए, और ढक देता सम्पूर्ण जीवन को; अपनी कालिमा से। किसी सुरंगमय कंदराओं में से, सिसकने की आवाज़ आती…
बिंदु-बिंदु शिल्पकार है - कविता - मयंक द्विवेदी
सीमित ना हो दायरा उर के द्वार का, प्रकृति भी देती परिचय दाता उदार का। यूँ ही नहीं होता सृजन उपलब्धि के आधार का, छूपी हुई नींव में आरंभ…