स्वतंत्रता दिवस - कविता - आलोक कौशिक

स्वतंत्रता दिवस - कविता - आलोक कौशिक | Independence Day Kavita - Swatantrata Diwas - Alok Kaushik. स्वतंत्रता दिवस पर कविता
विजय-ध्वजा समुन्नत भारत
नभ में झलके त्रिवर्ण-शान
वीर-प्रवीर अमर बलिदानी
जिनसे जग में बढ़ी पहचान

वज्र-संकल्प-धार सज्जित
रण-ध्वनि जिनके ओष्ठों पर
धर्म-दीप प्रज्वलित किए जो
संकट-काल के मोर्चों पर

त्याग-तपस्या-अग्नि-ज्वाला से
वीरों ने कर दिया बलिदान
स्वराज्य-सिद्धि के यत्नों में
किया उन्होंने प्राण-दान

आज उनकी स्मृति मनाएँ
ऋण-मुक्ति का कर लें प्रण
अधिकार-रत्न सुरक्षित रख
सजग रहें हम क्षण-क्षण

स्वर्ण-रश्मि सी दमक रही है
विश्व वंदिता भारत की धरा
वीर-रक्त से सिंचित वसुधा
हृदय में करुणा व प्रेम भरा

जाति-भेद, अन्याय, दमन का
कर देंगे सर्वथा परिहार
सत्य, न्याय, करुणा, समता से
भर देंगे नव-जीवन-संसार

जय हो भारत-भूमि महान्
जय हो वीर-समाज अमर
जय हो बलिदान-गाथा की
जय-जय मातृ-ध्वज सुंदर

स्वतंत्रता का यह पावन पर्व
हो नित्य हमारे जीवन में
दीपित रहे स्वाधीन-ज्योति
प्रत्येक हृदय, प्रत्येक मन में

आलोक कौशिक - बेगूसराय (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos