रक्षाबंधन - कविता - संजय राजभर 'समित'

रक्षाबंधन - कविता - संजय राजभर 'समित' | Kavita - Rakshabandhan - Sanjay Rajbhar Samit. रक्षाबंधन पर कविता
भाई बहन का प्यार,
चंदा सूरज के जैसा हो
बहन की शीतलता के लिए
भाई की सुरक्षा कवच हो,
अनुज के लिए
बहन का माँ के जैसा ममत्व हो
उपहार का लोभ नहीं
अपनत्व का आशिर्वाद, आशीष हो
घर में हॅंसी ठिठोली
मिलन जुलना हो
बच्चों का शोरगुल हो
पूड़ी-सब्जी पकवान हो
नाना-नानी, दादा-दादी के
चेहरे पर ख़ुशियाँ हो।


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