हिन्द का कोहिनूर - कविता - गणपत लाल उदय

हिन्द का कोहिनूर - कविता - गणपत लाल उदय | Hindi Kavita - Hind Ka Kohinoor. Hindi Poem On Indian Army | भारतीय सेना पर कविता
हे वीर शहीदों! है आपको कोटि-कोटि प्रणाम,
अतुलित बल से खदेड़े आपने दुश्मन तमाम।
अमर ज्योत जलती रहेगी आपके सवेरे शाम,
मुस्तेद सदा रहकर आपने दिया इसे अंजाम।

नहीं डाले हथियार आपने यह प्रत्यक्ष प्रमाण,
लू चले, बारिश चले या शीत लहर की बाण।
ज़िम्मेदारी जो दिए आपको निभाए अविराम, 
अंगारों पर चलते गए चाहें निकल गए प्राण।

डगमगाएँ नहीं पाँव तुम्हारे हे देशभक्त महान,
तान सीना खड़े रहें ना घुसने दिया अनजान।
उस रक्तबीज की तरह लाए तुम ऐसा तूफ़ान,
अर्द्धसैनिक बल के रूप में आज ये पहचान।

रहें सदा घर की चौखट से आप बहुत ही दूर,
वसुन्धरा की इस गोद में चढ़े है शीश भरपूर।
मरते-मरते भी बोलें हो जय हिन्द आप ज़रूर,
कहलाते है इसलिए आप हिन्द का कोहिनूर।


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