मेरा अनुपात - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

मेरा अनुपात - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Mera Anupaat - Hemant Kumar Sharma
मेरा अनुपात,
तुमसे,
सामंजस्य नहीं बिठा पाता।

राहत की बात है,
कोई शून्य नहीं हो पाता।

बिखरी हुई सोच,
और उनमें बिखरा व्यक्तित्व,
अपने विचारों को,
बाहों में नहीं उठाता।

भार की कसौटी है,
धैर्य?
यह प्रश्न संक्षिप्त जीवन,
किस तरह सुलझाता।

मौन को
अभिव्यक्ति का माध्यम कह,
हृदय,
समस्याओं को सदा उलझाता।

जिस बात को स्मरण नहीं करना,
समय असमय,
उसी को चित्त उठाता।


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