यार तुम भी कमाल करते हो - ग़ज़ल - निर्मल श्रीवास्तव

यार तुम भी कमाल करते हो - ग़ज़ल - निर्मल श्रीवास्तव | Ghazal - Yaar Tum Bhi Kamaal Karte Ho - Nirmal Srivastava
बहर : ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़बून महज़ूफ़ मक़तू
अरकान : फ़ाएलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1212  22

यार तुम भी कमाल करते हो
बात कुछ बेमिसाल करते हो

जाने वालों का दर्द है तुमको
हैं जो उनका ख़याल करते हो

हो ग़लत तो ग़लत कहा मैंने
क्यूँ फिर इतना बवाल करते हो

कोई जो हाल चाल पूछे तो
तुम पलट कर सवाल करते हो

इतनी ख़्वाहिश हि वो कराती है
नेक दिल का जो हाल करते हो

के अभी चंद पल हि बीते हैं
तुम कि जीना मुहाल करते हो

निर्मल श्रीवास्तव - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos