निर्मल श्रीवास्तव - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
यार तुम भी कमाल करते हो - ग़ज़ल - निर्मल श्रीवास्तव
रविवार, जून 29, 2025
बहर : ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़बून महज़ूफ़ मक़तू
अरकान : फ़ाएलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1212 22
यार तुम भी कमाल करते हो
बात कुछ बेमिसाल करते हो
जाने वालों का दर्द है तुमको
हैं जो उनका ख़याल करते हो
हो ग़लत तो ग़लत कहा मैंने
क्यूँ फिर इतना बवाल करते हो
कोई जो हाल चाल पूछे तो
तुम पलट कर सवाल करते हो
इतनी ख़्वाहिश हि वो कराती है
नेक दिल का जो हाल करते हो
के अभी चंद पल हि बीते हैं
तुम कि जीना मुहाल करते हो
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