संदेश
वक़्त ठहरा कब है - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
वक़्त ठहरा कब है बता मानव, जीवन मूक खड़ा रह जाता है। अबाधित दुरूह विघ्न से ऊपर, वायुगति कालचक्र बढ़ जाता है। शाश्वत प्रमाण काल ब्रह्…
आज़ादी - कविता - ऊर्मि शर्मा
कई बरसों से था वो साथ मेरे। मेरी खिड़की से मेरे पास आना, हमेशा के लिए, मेरा साथी हो जाना। दिन में घर से निकल, शाम होते ही लौट आना, ब…
तुम्हारी प्रेयसी की त्रासदी - पत्र - लक्ष्मी सिंह
मुझे उसके जिस्म की तलब तो नहीं थी लेकिन मैं उसके फेंके हुए उस सिगरेट के टुकड़े को छूना चाहती थी जो उसकी उँगलियों से लिपटकर उसके होठों …
अंतहीन आकृतियाँ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
अंधेरी रात में, घने जंगल से गुज़रता हुआ; एक शराबी को, गीदड़ों के गुर्राने की आवाज़; भयानक हिलती हुई आकृति; औ झिंगुरों की कर्णभेदी स्वर; …
ठग - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
क़दम-क़दम जीवन के प्रति पग, छल करते मिल जाते हैं ठग। जग आए तो मन था कोरा, कुछ भी न था तोरा मोरा। पहली ठगी किया पलना लोरी, माता पिता संग …
मज़दूर - कविता - सुनील कुमार महला
मज़दूर पर कविता लिखना टेढ़ी खीर है कवि मज़दूर जितनी मेहनत नहीं करता लेकिन यह कटु सत्य है सच्चा मज़दूर मेहनत करता है मेहनत, ईमानदारी की खा…
मेरी बेटी - प्रकृति रानी - कविता - डॉ॰ विजयलक्ष्मी पाण्डेय
कर रही भूमि का आराधन प्रकृति रानी, मैं बैठी उपवन में देख रही मंद स्मित! भोर बेला में धरती का अनुपम शृंगार, गुलमोहर पुष्पों की लाल सुर्…
इससे बड़ा फ़क़ीर कहाँ है - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
किसी घुमक्कड़ योगी जैसा, आज यहाँ कल वहाँ ठिकाना। मात्र चीथड़े चिपके तन पर, यही सम्पदा यही ख़ज़ाना॥ रूखा सूखा जो मिल जाए, भूख मिटाने को…
जीवन की मुस्कान है बेटी - कविता - विजय कुमार सिन्हा
जीवन की मुस्कान पापा की पहचान ईश्वर द्वारा प्रदत्त वरदान कौन है वह? निश्चित तौर पर वह बेटी ही माँ के सो जाने पर जो कहती थपकी देकर…
कैसे कह दूँ किससे कह दूँ - गीत - नीलम काश्यप
कैसे कह दूँ किससे कह दूँ अपनी राम कहानी। सबके मन में पीर भरी है, आँखों-आँखों पानी॥ ऐसा कोई नहीं है आँचल जिसमें हवा लगी न हो, ऐसी कोई आ…
नज़रिया - कविता - संजय राजभर 'समित'
जीवन सरल कैसे हो एक पैमाना लिए सारी उम्र मुद्राएँ बटोरता रहा। हर एक क़दम के बाद वही समस्याएँ पर तन-मन में ताक़त थी लड़ता रहा, उम्र बढ़ा …
यही बुद्ध हैं - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
एक शब्द जो बड़ी क्रूरता से उछाला गया घृणा की आग पर तपाया गया उड़ाया गया उपहास तीखे वचनों से दूरदुराया गया "दुर हटो! दुर हटो!!"…
हम जाएँ कहीं महक साथ होगी - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
हम जाएँ कहीं महक साथ होगी, वो कितनी हसीं मुलाक़ात होगी। चमन सा महकता ये मन मेरा, भावों में अद्भुत कोई बात होगी। कुंदन सा महके भावो का स…
गमले में बोई ग़ज़लें - कविता - रमाकान्त चौधरी
जाने कितनी घास उगी थी उन यतीम गमलों में जो रखे थे छत की मुंडेर पर। ख़र्च कर दी मैंने काफ़ी एनर्जी उन्हें साफ़ करने में। और फिर मैंने ब…
बुद्ध बनने की इच्छा - कविता - प्रशान्त 'अरहत'
सिद्धार्थ के पिता की तरह; मेरे पिता के पास कोई राजपाट नहीं था, न मुझमें बुद्ध बनने की कोई इच्छा। मैंने सिर्फ़ एक घर छोड़ा था घर में माता…
मञ्जरी - कविता - मृत्युञ्जय कुमार पाण्डेय
सज रहीं जो कोंपलें शृंगार करती तरुवरों की, उस कोंपल की ध्येय बनती मैं हूँ तरु की मञ्जरी। तरु जो विहग को वास देते, आस देते, उस तरु की च…
इगास पर्व उत्तराखंड - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
"भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू, उज्यालू आलो अंधेरो भगलू" इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए,भैलों खेलते, गोल-घेरे मे…
पहचान - कविता - विजय कुमार सिन्हा
माँ ने जन्म दिया बाबूजी ने मज़बूत हाथों का सहारा तब बनी मेरी पहली पहचान। गाँव से निकलकर शहर में आया चकाचौंध भरी रौशनी तो मिली पर ना मिल…
ड्यूटी - कहानी - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
बड़ी सजकता से बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी कर रहा था। मैंने पहले ही मन मे ठान लिया था कि आज किसी हो हिलने का मौक़ा नहीं दूँ…
एक रात - कविता - इमरान खान
एक रात जब में प्रकृति का अनावरण कर रहा था। हरे पेड़, रंगहीन पत्थरों के बीच, चौंधियाती हुई रौशनी और घुप अँधेरे में, मैंने कल्पना की। नदी…
उत्तर प्रदेश की गाथा - कविता - अनूप अंबर
सबसे प्यारा-प्यारा यूपी, दुनियाँ में सबसे न्यारा यूपी। भारत देश के दामन पर, ह्रदय सा है हमारा यूपी॥ यहीं पर है वृंदावन पावन, यहीं पर त…