संदेश
आसमाँ का समंदर - कविता - सुनील कुमार महला
कभी छत पर जाकर देखना आसमान का समंदर टिमटिमाते बुदबुदाते असंख्य तारों के बीच कभी तुम झाँकना मन प्रफुल्लित न हो जाए तो बताना राहत की साँ…
दिल तुम्हारे दिल में अपना इक ठिकाना ढूँढ़ता है - ग़ज़ल - सुशील कुमार
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 2122 2122 दिल तुम्हारे दिल में अपना इक ठिकाना ढूँढ़ता है, हो मिलन ध…
सितारें - कविता - ऊर्मि शर्मा
हमेशा सोचती थी मैं आसमाँ के आँचल में सितारें ही सितारें, मेरे छोटे से आँचल में इक मुट्ठी सितारें हो। तभी इक रात ख़्वाब में चाँद समझा …
जीवन का अधूरापन - कविता - राकेश कुशवाहा राही
जीवन का अधूरापन भर न सका, स्वप्न का टूट जाना मैं सह न सका। ज़िन्दगानी दरिया के समानांतर है, इसीलिए जीवन भी रुक न सका। जग में कुछ सुन्दर…
उम्मीद - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
सफलता यदि छत है तो असफलताएँ उसकी सीढ़ियाँ खोकर तुमने जो पाया है देख उसे, आगे बढ़ेंगी आने वाली पीढ़ियाँ आसमाँ बड़ा है मुश्किलों का पहा…
एक अर्घ्य शौर्य को - कविता - गोकुल कोठारी
असंख्य सूर्य रश्मियों से प्रदीप्त ये धरा, तेजवान के लिए क्या तिमिर क्या जरा। सैकड़ों हों घटा या सैकड़ों हों ग्रहण, वो बिखेरे किरण कर र…
हे सूर्य देव! - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हे सूर्य देव! हे ज्योतिपुंज! तमतोम मिटा दो जीवन का। ज्योतिर्मय राहें दिखला दो, दुःख क्लेश मिटा दो जीवन का। तुमसे ही है ये जग निरोग, त…
छठ पूजा - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
छठ की पूजा की सारी महिमा शास्त्र हमें बतलाते हैं, छठ देवी का अर्चन कर जन मनवांछित फल पाते हैं। वैदिक काल से चला आ रहा है यह मंगल पर्व,…
आस्था का महापर्व छठ - लेख - कुमुद शर्मा 'काशवी'
“पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया बरत तोहार। करिहा क्षमा छठी मईया, भूल-चूक ग़लती हमार।” “घरे घरे होता माई के बरतिया...” दीपावली बितते-बितते…
सुर्य देव की उपासना - कविता - संजीव चंदेल
सुर्य देव की हम उपासना करें माँगें सुख और शांति, हर काम सफल हो भगवन रहे न कोई भ्रांति। सुरज की भाँति सबका जीवन दमकता रहे चमकता रहे, घर…
छठ पर्व - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
जल-लहरियों में आस्था और विश्वास के रंगों में सजी, शृंगार-विन्यास में व्रतधारी स्त्रियाँ दूर पहाड़ों पर नीम-कुहासे को पछाड़ कर आसमान की…
बेटी - कविता - लाखम राठौड़
किसी गाय के बाछे की तरह टुकर-टुकर देखती असहाय-सी निरीह उदास बेटी, आँगन में गेरुए रंग बनी रंगोली की एक सुंदर लेकिन मिटि-मिटि-सी लकीर बे…
हम नहीं है कम - कविता - सुरेन्द्र सिंह भाटी
1. पड़ी जब इतिहास में तलवार उठाने की ज़रूरत तो हमने उठाई, क्रिकेट मैच के संकट में बल्ला उठाके बाजी भी हमने जिताई। आसमाँ से लेकर चाँद को…
छठ पूजन दें अर्घ्य हम - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आदिदेव आदित्य अर्घ्य दूँ, धन मन जन कल्याण जगत हो। पूजन दें छठ अर्घ्य साँझ हम, हरें पाप जग मनुज त्राण हो। राग द्वेष हर शोक मनुज जग, हर…
नारी उत्पीड़न - कविता - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
नारी की नियति अस्मिता पर, जब प्रश्न उठा तुम मौन हुए। जीवन भर बंदिश में रहना, तुम कहने वाले कौन हुए। सदा प्रताड़ित होती नारी, क्या उसका …
घर साथ चले - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
रज़ा है के दुआओं का असर साथ चले, के मैं जब शहर जाऊँ तो घर साथ चले। मुझे डराने वैसे बहुत से हैं हालात चले, कभी मंज़िल चले तो कभी ताल्लुक़ा…
एहसास - कहानी - आशीष कुमार
मल्होत्रा परिवार की लाडली पद्मिनी उर्फ़ पम्मी ख़ुश-मिज़ाज लड़की थी। सुंदरता ऐसी की चाँद भी शरमा जाए। गोल मटोल मासूम सा चेहरा। आँखों से जै…
आज होने दो समर्पित - कविता - संजय कुमार चौरसिया
चिर वेदना में मुझे, आज होने दो समर्पित। शाख़ से टूटा हुआ मैं, रंग फीका और कल्पित। किशलय से टूट कर, आज जो पत्ती गिरी, कल मेरी लालिमा…
यह दर्द बहुत ही भारी है - कविता - आयुष सोनी
कई ख़्वाब टूट कर बिखर गए, कैसा हर रोज़ तमाशा है। नम आँखें है, ख़ामोशी है, मन में इक घोर निराशा है। कहने को एक सवेरा है पर रात दुखों की ज…
दौड़ में जुटने लगे हैं आदमी अब - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 2122 दौड़ में जुटने लगे हैं आदमी अब, छोड़ के बैठे पुरानी सादगी अब। बढ़ गया काग़ज़ …
आग़ाज़ - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
आग़ाज़ हुआ दिल की आवाज की झंकार का, मन के तारों के कंपन इक छूटे हुए संसार का। कहीं मन की घुटन कहीं तन की तपन, कहीं तन का व्यसन कहीं मनका…
हे तिथि अमावस दीपरात्रि! - कविता - राघवेंद्र सिंह | दीपावली पर कविता
हे तिथि अमावस दीपरात्रि! हे माह कार्तिक कृष्ण रात्रि! हो रहा आगमन दिव्य रूप, हो रहा कान्तिमय नव स्वरूप। कट रही दिशाओं की बाधा, दीपों न…