डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
वक़्त ठहरा कब है - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रविवार, नवंबर 13, 2022
वक़्त ठहरा कब है बता मानव,
जीवन मूक खड़ा रह जाता है।
अबाधित दुरूह विघ्न से ऊपर,
वायुगति कालचक्र बढ़ जाता है।
शाश्वत प्रमाण काल ब्रह्माण्ड जग,
महाकाल कराल बन जाता है।
जो अनुगमन वक़्त हर पल चलता,
कालजयि अमर गीत उद्गाता है।
मिले हैं कुछ लम्हें दुर्लभ जीवन,
परहित कर्मवीर पथ जाता है।
स्वर्णिम गाथा यश अमर विजय रच,
निज काल पत्र नाम लिख जाता है।
अनंत अगाध महिमा वक़्त चरित,
भूत वर्तमान भविष्य विधाता है।
युग धारक पालक संहारक जग,
वक़्त अतीत साक्ष्य बन जाता है।
विपरीत समय चलता जो मानव,
खिलवाड़ वक़्त से कर जाता है।
जन पथभ्रष्ट सुपथ सत्कर्म विमुख,
नश्वर काया काल चबाता है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर