हम जाएँ कहीं महक साथ होगी - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'

हम जाएँ कहीं महक साथ होगी,
वो कितनी हसीं मुलाक़ात होगी।
चमन सा महकता ये मन मेरा,
भावों में अद्भुत कोई बात होगी।

कुंदन सा महके भावो का सितारा,
हुआ है असर शुभ कर्मों का सारा।
परख लो कसौटी पर खरा हूँ,
महकता सा दमकता सितारा।
हमसे मिलो तुम कुछ बात होगी,
मधुर तरानों की बरसात होगी।
हम जाएँ कहीं महक साथ होगी,
जज़्बातों की नई सौग़ात होगी।
हम जाएं कहीं महक साथ होगी॥

महका आँगन चेहरा खिला सा,
शब्दों का जादू लब पे मिला था।
दिलों की बातें गीतों में आए,
हिमालय कहीं कोई हिला था।
भावों की गंगा हम बहाने चले हैं,
किनारों पे सुहानी बरसात होगी।
प्रित के मोती रिश्तो में बरसे,
जगमग दिवाली सी रात होगी।
हम जाएँ कहीं महक साथ होगी॥

हिम्मत हमारी हौसला हमारा,
साथ सदा ही देता है सारा।
मौसम सुहाना वो राहें सुहानी,
डूबे को आख़िर मिलता किनारा।
सागर की लहरें उठी मेरे मन में,
कविता की कहीं कोई बात होगी।
क़लम ने उकेरा प्यारा सा तराना,
शब्द सुधारस की बरसात होगी।
हम जाएँ कहीं महक साथ होगी॥

रमाकान्त सोनी 'सुदर्शन' - झुंझुनू (राजस्थान)

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