संदेश
आलस घातक घोर - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
जागो समय न खोइए, आलस घातक घोर। छोटे दिन की ज़िंदगी, कब लाओगे भोर।। कब लाओगे भोर, करो कुछ कर्म नगीना। छोड़ो तम अज्ञान, बढ़ो पथ जीवन जीना…
मौन के लाभ हानि - लेख - सुधीर श्रीवास्तव
मौन की प्रवृत्ति आदि काल से चली आ रही है। प्रश्न मौन होने का नहीं समय, काल, परिस्थितियों के अनुरूप मौन के प्रतिउत्तर का है। सबको पता ह…
माँ - कविता - भुवनेश नौडियाल
माँ के प्रेम से सिंचित होकर, इस जगत को जान पाया। अमृत दूध धारा से, तूने मुझको है पाला। प्रणिपात है देव को, उसने रूप अपना दिया। इस जगत …
अधूरा प्रेम - गीत - बजरंगी लाल
प्रेम होता अधूरा सदा से रहा, पूर्ण करने में हम तो लगे रह गए। तुमको पाने के रस्ते थे टेढ़े मगर, सीधा करने में हम तो लगे रह गए। जाति मज़…
कश्मीर - कविता - दीपक राही
कश्मीर तुम्हें यूँ ही नहीं कहते, कुदरत का नायाब यूँ नहीं कहते। तुम ही तो हर मौसम का रंग दिखलाते, पल-पल बदलते अफ़सानों को महकाते, बाग़-बग़…
हरित वसुंधरा - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
देख अम्बर मेघ फूलों के अधर लाली, प्रेमरत मधुकर, मगन मकरंद, तरु-डाली। वल्लरी झूमे, पवन मुकुलित कली चूमे, कर रही अरुणिम प्रभा रुत मत्त, …
ग्लोबल वार्मिंग - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
धरती गरमा रही है तो क्या हुआ? कुछ गर्माहट आप तक पहुँची क्या? धरती गरमाने का मतलब? "ग्लोबल वार्मिंग" अंग्रेजी में? हाँ सुना त…
या ख़ुदा मोहसिन मेरे - सूफ़ी गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
या ख़ुदा मोहसिन मेरे मेहरबाँ मेरे करीम। मौला मेरे मालिक मेरे जानें जहाँ मेरे रहीम। 2 आज तुझको पा गया हूँ, इश्क़ में तेरे सना हूँ। ये मेर…
एक नई शुरुआत - कविता - आर्तिका श्रीवास्तव
एक नई शुरुआत करी है मैंने अपने जीवन की, जिसमें चाहत बुन रहा हूँ मैं अपने हर रिश्ते की। बरसों से जो छूटा था रोज़ी-रोटी कमाने में, हर रिश…
खोज - कविता - विनय विश्वा
शब्दों को ढूँढ़ता है की मंज़िल को ढूँढ़ता है, हर घड़ी मेरा दिल अभिव्यक्ति को ढूँढ़ता है। यादों को ढूँढ़ता है की ख़्वाबों को ढूँढ़ता है, हर घड़ी…
चिड़िया रानी - कविता - प्रवीण
चिड़िया रानी बड़ी सयानी, मोह माया सब इसने जानी। पंख फैलाए फुर हो जाती, यह कभी ना हाथ में आती। सुबह-सुबह यह जब है आती, सब के दिल को बहल…
पिता - कविता - काजल चौधरी
पिता के बाद, याद आता है, बहुत कुछ- उनका त्याग, उनकी तपस्या। हमारी ख़ातिर हमारी परवरिश हेतु, हमीं से दूर रह हर पल चिंताकुल रहना, हमारी ज…
संस्कार निभाना - गीतिका - विशाल भारद्वाज 'वैधविक'
जीवन में आचार निभाना। तुम अपना संसार निभाना। पा लेना कुछ पाना हो तो, तुम अपना आभार निभाना। रिश्तों में मिलते है धोखे, तुम अपना बस प्या…
श्रम की अद्भुत मिसाल किसान - कविता - अर्चना कोहली
श्रम की अद्भुत मिसाल किसान कहलाते हैं, निर्धन-धनी सभी की क्षुधा शांत करते है। जी-तोड़ मेहनत कर ख़ुशहाली धरा पर लाते, फिर भी अधिकतर ही अ…
खिड़की - कविता - शुभोदीप चट्टोपाधाय
मेरे घर में जो खिड़की है वो, मेरे इस शरीर के समान है और खिड़की के इस तरफ़ फँसा मैं, मेरे अंदर रहने वाले जीवात्मा के समान। और उस खिड़की मे…
बस तुझको ही पाया है - गीत - प्रवीन 'पथिक'
खो दिया सब कुछ मैंने यूँ बस, तुझको ही पाया है। आँखों में था प्रणय-प्यास, पलकों में हया की लाली थी। होठों पे कुछ मीठे सरगम, जैसे गाती क…
नया सवेरा फिर आया है - कविता - राम प्रसाद आर्य 'रमेश'
उठो साथियों! निंद्रा त्यागो, नया सवेरा फिर आया है। नव उमंग, तरंग, रंग नव, मग नव, नव चेतन लाया है।। मुर्गे कुकडू़ कु बोले हैं, कलिय…
गुरु ज्ञान दीप रवि सम समझो - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
गुरु बिन ज्ञान न हो जीवन में, अरुणाभ दिवाकर गुरु समझो। घनघोर निशा अज्ञान तिमिर, गुरु चन्द्रप्रभा जीवन समझो। छल छद्म द्वेष ईर्ष्या लालच…
नमन करूँ शत बार - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
शिक्षक जी आदर सहित, नमन करूँ शत बार। सिर पर मेरे हाथ रख, देना अपना प्यार।। देना अपना प्यार, कृपा तुम मुझ पर करना। अंधकार अज्ञान, सदा ज…
मेरे गुरुजी सबसे अच्छे - बाल कविता - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
आँखों मे चश्मा चमक रहा, है गेहुँआ रंग। धोती कुर्ता पहन कर आते, अजब निराले ढंग।। पतली छड़ी साथ वो लाते, जब कक्षा में आते। सब डर जाते देख…
गुरु महिमा - कविता - सरिता श्रीवास्तव 'श्री'
गुरु ज्ञान की ज्योति अनोखी, अंतस फैला तिमिर मिटाए। अनगढ़ मूढ़ शून्य शिष्य को, सघन शून्य महत्व सिखाए।। दीपक जैसा जलता जाए, शिष्य अंतर प…
प्रिय गुरुवर - कविता - दीपा पाण्डेय
वंदन-अभिनन्दन करती हूँ, बारम्बार नमन करती हूँ। आज दिवस है पाँच सितम्बर, प्रिय गुरुवर, स्नेहिल गुरुवर। ज्ञान के सागर, पथ के प्रदर्शक,…
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता - कविता - रमाकांत सोनी
क़िस्मत का ताला खुल जाता, गुरु शिष्य का भाग्य विधाता। ज्ञान ज्योति जगा घट घट में, अंतर्मन उजियारा लाता। शिल्पकार मानव निर्माता, शत् श…
शिक्षक दिवस - कविता - रतन कुमार अगरवाला
ज़िंदगी में सर्वप्रथम गुरु, हमारे माता पिता को नमन। उनके बाद आते शिक्षक, जिनका करूँ मैं अभिनंदन। “अ” से लेकर “अ:” तक, “क” से लेकर “ज्ञ”…
गुरु - कविता - डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी
शिक्षक वह जो करें मार्ग प्रशस्त, जिसके सीख से अज्ञान हो अस्त। जीवन को मिलता नव संगीत, वही सद्चरित और उन्नति का मीत। गुरु ही तो होता है…
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