नमन करूँ शत बार - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'

शिक्षक जी आदर सहित, नमन करूँ शत बार।
सिर पर मेरे हाथ रख, देना अपना प्यार।।
देना अपना प्यार, कृपा तुम मुझ पर करना।
अंधकार अज्ञान, सदा जीवन का हरना।।
कह 'कोमल' कविराय, आप शिष्यों के रक्षक।
भरते ज्ञान प्रकाश, सदा शिष्यों में शिक्षक।।

करते हैं उनको नमन, देते ज्ञान प्रकाश।
तम विकार अज्ञान का, करते सदा विनाश।।
करते सदा विनाश, सत्य का बोध कराते।
हम आदर सम्मान, भाव से शीश झुकाते।।
कह 'कोमल' कविराय, ज्ञान जीवन में भरते।
शिष्यों का तम दूर, प्रकाशित जीवन करते।।

श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल' - लहार, भिण्ड (मध्य प्रदेश)

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