नया सवेरा फिर आया है - कविता - राम प्रसाद आर्य 'रमेश'

उठो साथियों! निंद्रा त्यागो, 
नया सवेरा फिर आया है। 
नव उमंग, तरंग, रंग नव, 
मग नव, नव चेतन लाया है।।

मुर्गे कुकडू़ कु बोले हैं, 
कलियों ने घूँघट खोले हैं। 
पुष्पों पर भ्रमर डोले हैं, 
नव प्रकाश, नव पवन गंध नव, 
नव अवसर गति-प्रगति लाया है।।

तम को हटा, धरा से, घटा हटाकर नभ से, 
नवल छटा जग बिखराया है।
अम्मा-अम्मा, गौ नव रम्भाना,
नवल गीत खग फिर गाया है।। 

नवल बेग सरिता बहती, 
नवल गंध सुमन सरसाती। 
नवल प्रेम-जल जननी, जात को 
नहलाती, नव दूध पिलाती।। 

उठो साथियों! निद्रा त्यागो,
नया सवेरा फिर आया है। 
नव उमंग, तरंग, रंग नव, 
मग नव, नव चेतन लाया है।। 

राम प्रसाद आर्य 'रमेश' - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)

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