अधूरा प्रेम - गीत - बजरंगी लाल

प्रेम होता अधूरा सदा से रहा,
पूर्ण करने में हम तो लगे रह गए।
तुमको पाने के रस्ते थे टेढ़े मगर,
सीधा करने में हम तो लगे रह गए।

जाति मज़हब के बन्धन लगे थे मगर,
काटने के लिए हम लगे रह गए।
पर नियति को न शायद ये मंज़ूर था,
एक होने को हम तो लगे रह गए।

हाथ में हाथ धर उम्र भर का सफ़र,
हम निभाने को हर-पल लगे रह गए।
पूजा अर्चन सभी माँगे मन्नत कभी,
साथ रहने को हम माँगते रह गए।

भूलकर सारे रस्मों रिवाजों को हम,
तेरी कसमों में हम तो लगे रह गए।
मिल न पाया भले साथ तेरा मगर,
साथ चलने को हम तो लगे रह गए।

तुम तो सपनों की उँची उड़ानों पर थी,
हम ज़मीं बन तेरे पग तले रह गए।
हो गई तुम सफल चूम लो तुम गगन,
हम धरा पर धरे के धरे रह गए।

प्रेम होता अधूरा सदा से रहा,
पूर्ण करने में हम तो लगे रह गए।
तुमको पाने के रस्ते थे टेढ़े मगर,
सीधा करने में हम तो लगे रह गए।

बजरंगी लाल - दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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