संदेश
वो नींद - नज़्म - हरि ओम राजपूत
वो नींद मुझे जब आती थी, सोने से पहले सोने तक ! वो कई गुजारी रातें थी, वो भोर सुनहरी किरणों तक !! वो ख्वाब तुम्हारे आते थे, आकर फिर कतर…
काश मुझे समझ पाते - कविता - शेखर कुमार रंजन
मैंने दिल में आपको रहने की इजाजत दी है बस इसलिए हर रोज हम बेवजह मर रहे है आप पर आँखें बंद करके की हैं भरोसा मैंने शायद इसलिए दिन रात ह…
तुम्हे याद है न! - कविता - वरुण "विमला"
तुम्हें याद है वो सुबह! जब तुम मेरी साइकिल पर, बैठ गई थी ज़बरदस्ती। मैं तो बिलकुल डर गया था, जैसे किसी चूहे की नज़रे, बिल्ली से मिलने प…
जीवन में परिवर्तन ही स्थिर है - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
परिवर्तन के सिवा इस सृष्टि में स्थिर कुछ भी नहीं है। परिवर्तन एवं गति संसार का अनिवार्य नियम है। इस सृष्टि का यही शाश्वत नियम भी है। इ…
घर ! मुझे पहचानते हो - कविता - डॉ. कुमार विनोद
जीवन के आपाधापी में शान्ति की तलाश में इक्कीस दिनी शाश्वत् सत्य की खोज में बाहर के अहर्निश शोर से अलग- थलग एकान्त में रहने को मन आतुर…
गजानन महाराज - कविता - अंकुर सिंह
भाद्र शुक्ल की चतुर्दशी, मनत है गणपति त्योहार। सवारी जिनका मूषक डिंक मोदक है उनका प्रिय आहार।। उमा सुत है प्रथम पूज्य, कहलाते गजानन मह…
सोशल मीडिया विरोधी पोस्ट - लेख - चन्द्र प्रकाश गौतम
आज हम लोग जिस युग में हम श्वास ले रहें हैं। यह युग डिजिटल का युग है। और डिजिटल युग में लोग अपने जीवन के पल पल की क्रिया विधि को सोशल म…
आलिंगन - कविता - आलोक कौशिक
पृथक् थी प्रकृति हमारी भिन्न था एक-दूसरे से श्रम ईंट के जैसी सख़्त थी वो और मैं था सीमेंट-सा नरम भूख थी उसको केवल भावों की मैं था …
चुनौती - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
राम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, फिर भी वो अपनी बेटी की अच्छी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास करता रहता रहता। बेटियाँ भी इस बात को बखू…
कोरोना भाग भी जाओ - गीत - महेश "अनजाना"
ऐ कोरोना! भाग भी जाओ क्यों भारत में तू आया है। माना कि छुपा रुस्तम है तू किसी को नज़र ना आया है। यहां ऐसी जवानी है जिसमें नूर झलकती है…
कौन रहता हैं दूसरा मुझमें - ग़ज़ल - अंकित राज
मेरे होने का दे पता मुझमें। कौन रहता है दूसरा मुझमें। सोचता हूँ कहां से निकलेगा, तुझको पाने का रास्ता मुझमें। नींद मुझको तो आ गई लेकिन…
प्रिय राग तजो कर मधुर मिलन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीवन की सारी खुशियाँ ले, पुष्पित प्रसून मुस्कान बनो। नयी प्रगति नित कीर्ति लता में, गन्धमाद सजन मन रंग भरो। सरस मध…
हिन्दी ही भाषाओं में महान है - कविता - रमेश वाजपेई
मैं जब गया दूसरे राज्य में वहां हर आदमी अपनी भाषा का बखान कर रहा था, मैं भी उनके बीच बैठा था मैं भी हिन्दी भाषा का गुणगान कर रहा था। म…
जीवन किस ओर चला - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
पल की सुधि में युग बीत गए, जाने जीवन किस ओर चला। जिस पल से मन के मीत गए, जाने दर्पण किस ओर चला। प्रिय लाली चूनर तार-तार, जाने कंगन कि…
मै लिखता रहूँगा - कविता - अशोक योगी "शास्त्री"
मुझे मालूम है मेरे लिखने से सत्ता के कानों में जूं तक नहीं रेंगेगी मगर मै लिखता रहूँगा उन बदनसीब गिर वासी वनवासी, निरीह आदिवासियों …
अभाव ही तो भाव है - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
मैं जहाँ देखता हूँ अभाव, वहाँ कलम दौड़ पड़ती है। सूखे पत्तों का दर्द बयां करने, मेरी कलम दौड़ पड़ती है। राहों में चलते चलते ही, अक्सर …
तेरी सादगी - कविता - कपिलदेव आर्य
तेरी सादगी मुझे भा गई, ज़िंदगी जन्नत सी पा गई! कोई सोलह सिंगार नहीं, फिर भी तू ग़ज़ब ढा गई! सौम्यता की तूं पराकाष्ठा, जैसे धवल चाँदनी …
आज भी इंतज़ार है - कविता - प्रवीन "पथिक"
आज सुबह सुबह अचानक; उनकी याद मस्तिष्क में, मेघों सा छा गई। वो लम्हें, मुझे विस्मृत करना चाहती थी। जिन्हें, मैंने साथ साथ बिताए थे। आज …
हाँ, हूँ मै मिडिल क्लास - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
चप्पल में जोड़ कई कपड़े में छेद चार हैं मोची और रफूगीर का हमसे चलता संसार है।। मिडिल क्लास जानता है एसी से नुकसान हैं बस पहियों का फर्…
शान्ति सहज जीवन सुखी - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शान्ति सहज जीवन सुखी , मानवता सम्मान। यही मूल नित सत्य है, ब्रह्म सृजन अभिधान।।१।। परहित यदि मन भावना , तजे मोह मद स्वार्थ । सर्…
जीवमात्र से प्रेम करना चाहिए - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हम सब एक मात्र परमात्मा का ही अंश हैं, इसमें कोई दो राय नहीं। वह सत्य स्वरूप परमात्मा एक है, जिसे हम सभी अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।…
बाल मन पर पड़ता प्रभाव - लेख - अंकुर सिंह
गाँधी जी की जयंती दो अक्टूबर करीब आने को है, किताब उठाया बापू की जीवनी पढ़ने लगा, पढ़ने पर पाया की मोहनदास नामक बालक बचपन में सत्यवादी र…
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