ऐ कोरोना!
भाग भी जाओ
क्यों भारत में तू आया है।
माना कि
छुपा रुस्तम है तू
किसी को नज़र ना आया है।
यहां ऐसी जवानी है
जिसमें नूर झलकती है।
यहां हर जवां दिलों में
जज्वा ए वतन परस्ती है।
हर मुश्किल कदम को
सबने यहाँ
आसान बनाया है।
क्यों भारत में तू आया है।
यहाँ पर
ऐसे सूरमा हैं जिसने
हार ना मानी है।
कोरोना एक दिन
भागेगा ये सबने
दिल में ठानी है।
तुझको नज़र ना आएंगे
कुछ ऐसा ही
जाल बिछाया है।
क्यों भारत में तू आया है।
कोविड 19 को
हराने की हमने
कसम खाई है।
रिश्तों में जीकर
कोरोना से शुरू
कर दी लड़ाई है।
फेस मास्क को
अपना कवच बनाया है।
क्यों भारत में तू आया है।
कोई मुसीबत
लाख आए हमने
हिम्मत ना हारी है।
अन्तिम साँस
तक लड़ेंगे एकदिन
जीत हमारी है।
ना मानेंगे
हार कभी भी
ये संकल्प दोहराया है।
क्यों भारत में तू आया है।
महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)